पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन करेंगी बरगद की परिक्रमा, जान‍िए शुभ मूहुर्त और पूजन व‍िध‍ि

harshita's picture

RGA news

ज्येष्ठ या जेठ महीने के कृष्णपक्ष की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत होता है।

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि सूर्य पुत्र भगवान शनि न्याय के देवता है इस दिन शनि पूजन व्रत और शनि की वस्तुओं का दान किया जाता है। इसे बरगदायी अमावस्‍या या बड़ मावस भी कहते हैं।

 विकास के इस डिजिटल युग में भी हमारी पौराणिक मान्याएं आपसी प्रेम और त्याग की दास्तां बयां करते हैं। पति को देवता का दर्जा देने वाली सुहागिनों का वट सावित्री व्रत 10 जून को है। लॉकडाउन के बावजूद सुहागिअपनी सुविधा के अनुरूप घरों में और आसपास लगे वट वृक्ष के पास पूजन करेंगी। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होने वाली इस पूजा के पीछे सती सावित्री और सत्यवान की कथा जुड़ी है। कहते हैं कि वट वृक्ष की लटकती तनाओं में सती सावित्री ने पति को छिपा कर यमराज के पीछे-पीछे चल पड़ी थीं। सावित्री ने यमराज से 100 पुत्रों का वरदान मांगा और फिर यमराज को सत्यवान के प्राण वापस करने पड़े।

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि सूर्य पुत्र भगवान शनि न्याय के देवता है इस दिन शनि पूजन व्रत और शनि की वस्तुओं का दान किया जाता है। गरीबों और मजदूरों की सेवा और सहायता के साथ श्रद्धालु काला वस्त्र , काला छाता, काले तिल, काली उड़द दान करते हैं। अमावस्या नौ जून को दोपहर 01:57 बजे से शुरू होकर 10 जून को शाम 4 :22 बजे तक रहेगा। सूर्यादय सेे लेकर दोपहर 01:42 बजे से पहले पूजन करना श्रेयस्कर रहेगा। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी

ऐसे करें पूजन 

आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि सुबह स्नान के बाद बांस की टोकरी मेंब्रह्माजी की मूर्ति की स्थापना के साथ सावित्री की मूर्ति की स्थापना करना चाहिए। दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करके टोकरी को वट वृक्ष के नीचे जाकर ब्रह्मा और सती सावित्र का पूजन करना चाहिए। पूजा में जल, रोली, कच्चा सूत, भीगा चना, फूल तथा धूप सहित अन्य सामग्री से पूजन करके वट वृक्ष पूजन में तने पर कच्चा सूत लपेट कर 108 बार या कम से कम सात बार परिक्रमा करना चाहिए। 

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.