भांग दुकान की आड़ में बिक रहा गांजा, प्रयागराज में नारकोटिक्स और एसओजी के शह पर कारनामा

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पिछले दिनों एसटीएफ की गिरफ्त में आए तस्करों से पूछताछ में मिली थी यह जानकारी

स्पेशल टॉस्क फोर्स एसटीएफ की लखनऊ टीम ने जिले से सबसे बड़े तस्कर के रूप में कुख्यात प्रदीप केशरवानी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में पता चला था कि वह प्रयागराज और आसपास के जिले में गांजा की सप्लाई पैकेट बनवाकर करता था

प्रयागराज,नशे का जाल ऐसा है कि इसके चंगुल में फंसने वाले तबाह होते हैं और इसकी बिक्री के लिए तमाम गलत ढंग अपनाएजाते हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल की ज्यादातर भांग दुकानों की आड़ में गांजा की बिक्री की जा रही है। युवाओं को नशे का आदी बनाने के लिए कुछ तस्करों का एक गैंग है, जो स्थानीय पुलिस, नारकोटिक्स और एसओजी टीम के शह पर काला कारोबार कर रहे हैं। स्मैक और गांजा बेचकर तस्कर करोड़ों की कमाई भी करते हैं। मगर पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में कमजोर है।

सफेदपोश का भी रहता है संरक्षण

स्पेशल टॉस्क फोर्स एसटीएफ की लखनऊ टीम ने जिले से सबसे बड़े तस्कर के रूप में कुख्यात प्रदीप केशरवानी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में पता चला था कि वह प्रयागराज और आसपास के जिले में गांजा की सप्लाई पैकेट बनवाकर करता था। उसका एक खास कारिंदा मुट्ठीगंज इलाके में रहता है, जिसे एक सफेदपोश का संरक्षण प्राप्त है। वही, शख्स भांग विक्रेताओं की मदद से गांजा की फुटकर बिक्री करवाता है। पुलिस की नारकोटिक्स और एसओजी टीम ऐसे लोगों पर कार्रवाई करती है, जो इस गिरोह से बाहर रहता है। मगर एसटीएफ की छानबीन में जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पुलिस की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा कर रही है। कुछ साल पहले भी कैंट थाने की पुलिस ने गांजा बेचने के आरोप में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ में भांग की दुकान की आड़ में अवैध तरीके से गांजा बेचने की बात सामने आई थी। फिलहाल एसपी क्राइम आशुतोष मिश्रा का कहना है कि मादक पदार्थों की बिक्री करने और इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे लोेगों के बारे में जानकारी जुटाकर निगाह रखी जा रही है।

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