ऐसी भी क्या मुश्किल जो छोड़ दी दुनिया, प्रयागराज में समस्याओं से हारकर दो लोगों ने उठाया आत्मघाती कदम

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करेली इलाके में रहने वाले दो युवकों ने शुक्रवार रात फांसी लगाकर जान दे दी

मनोविज्ञानी और बुजुर्ग कहते रहे हैं कि समस्या कितनी भी बड़ी हो उससे जूझना और उससे पार पाना ही समझदार और साहसी व्यक्ति की निशानी है। समस्या से हारकर मौत गले लगाना तो कायरों का काम है लेकिन तब भी लोग बात-बात पर आत्महत्या पर उतारू हो जाते हैं

प्रयागराज,वजह जो भी हो लेकिन है तो यह गलत ही। मनोविज्ञानी और बुजुर्ग कहते रहे हैं कि समस्या कितनी भी बड़ी हो उससे जूझना और उससे पार पाना ही समझदार और साहसी व्यक्ति की निशानी है। समस्या से हारकर मौत गले लगाना तो कायरों का काम है लेकिन तब भी लोग अक्सर जरा सी बात पर परेशान होकर मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या पर उतारू हो जाते हैं। दो ताजा घटनाएं भी यही बताती हैं कि लोग मुश्किल हालात से लड़ने की बजाय मौत की राह पर बढ़ जाते हैं। शहर के धूमनगंज और करेली इलाके में रहने वाले दो युवकों ने शुक्रवार रात फांसी लगाकर जान दे दी। शनिवार सुबह घटना की जानकारी होने पर पहुंची पुलिस ने छानबीन की। दोनों ही परिवार के लोग खुदकुशी का कारण अलग-अलग बता रहे हैं।

क्या थी दिक्कत, बना है ये रहस्य

करेली पुलिस के मुताबिक, भोला का पुरवा मोहल्ले का निवासी 30 वर्षीय अमित गौतम प्राइवेट काम करता था। जाने क्या वजह रही कि उसने शुक्रवार रात रस्सी का फंदा बनाया और फांसी पर लटक गया। वह रात में भोजन करने के बाद अपने कमरे में गया था। सब ठीक ठाक था। शनिवार सुबह घर वालों ने दरवाजा खटखटाया तो नहीं खुला। खिड़की से देखा तो अमित फंदे से लटका हुआ था। खबर पाकर पुलिस वहां पहुंच गई। अंदर से सिटकनी लगी थी इसलिए दरवाजा तोड़कर शव को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। परिवार के लोग कह रहे हैं कि ऐसी कोई बड़ी समस्या तो थी नहीं। फिर अमित ने क्यों ऐसी हरकत की, यह रहस्य बना है।

पारिवारिक समस्या से यह कैसा छुटकारा 

दूसरी घटना भी करेली की है। करेली ब्लाक निवासी 45 वर्षीय दिलीप भारतीय ने भी शुक्रवार रात फंदे से लटककर दुनिया से छुटकारा पा लिया। थानाध्यक्ष करेली बृजेश सिंह का कहना है की घटना का कारण साफ नहीं है। लेकिन प्रथम दृष्टया पारिवारिक वजह बताई जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मगर लोग कह रहे हैं कि वजह पारिवारिक रही हो या कोई और, इस तरह से मौत गले लगाना कतई सही नहीं है। मुश्किल को हल करने की बजाय जान देकर परिवार को दुखी करना तो नासमझी है।

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