अजहरी मियां के इंतक़ाल पर आसमान भी रोया, देश विदेश से जायरीनों के पहुंचने का सिलसिला जारी

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प्रधान संपादक 

RGA न्यूज बरेली। फखरे अजहर नबीरे आला हजरत अल्लामा मुफ्ती अख्तर रजा खान अजहरी मियां के आखरी दीदार को अक़ीदतमंद नम आंखों में सिर्फ अपने प्यारे ताजोशरिया के दीदार को उमड़े अकीदतमंदों का हौसला बदला मौसम और तेज़ बारिश भी नही रोक सकी। उनके आखिरी दीदार को उनके चाहने वाले तेज़ बारिश में घंटों बअदब खड़े रहे। इसके साथ ही दुनिया भर से उनके चाहने वाले और उनके मुरीद बरेली का रुख कर रहे हैं। उनकी नमाज़-ए-जनाज़ा शहज़ादा ताजुशशरिया व काज़ी मुफ़्ती असजद रज़ा खान क़ादरी कल 22 जुलाई को सुबह 10 बजे इस्लामिया मैदान में अदा कराएंगे।

अज़हरी मियां सुन्नी समुदाय की मशहूर और मारूफ शख्सियत होने कब साथ ही अपने आप में इल्म के दरिया थे। उन्होंने अरबी, फ़ारसी और उर्दू भाषाओं में दर्जनों किताबें लिखीं। इस्लामी दुनिया के सबसे प्राचीन और बड़े विश्व विद्यालय जामिया अल अज़हर काहिरा मिश्र में तालीम हासिल की। अपने तालीमी रिकॉर्ड के लिए मिश्र के राष्ट्रपति कर्नल अब्दुल नासिर के हाथों फख्र ए अज़हर का अवार्ड हासिल किया। अज़हरी मियां भारतीय उपमहाद्वीप सहित पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, तुर्की, अरब प्रायद्वीप में अहले सुन्नत वल जमात के बड़े और बुजुर्ग आलिमों में से एक थे। आपको इमाम अहमद रजा फाजिले बरेलवी का इल्मी जानशीन कहा जाता है। आलमे इस्लाम में आपकी प्रसिद्धि का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जॉर्डन की राजधानी अम्मान के रॉयल स्ट्राजिक सेंटर से हर साल जारी होने वाली दुनिया के 500 प्रभावशाली मुसलमानों की लिस्ट में टॉप 25 में शामिल रहे। आला हजरत फाजिले बरेलवी के इल्मी वारिस की हैसियत से आपको ताजुश्शरिया के नाम से भी जाना जाता है।

अजहरी मियां की पैदाईश 25 फरवरी 1942 में हुई। शुरुआती दौर में दरगाह आला हजरत स्थित दारुल उलूम मंजरे इस्लाम के उलमा से तालीम हासिल की। 1963 में अजहरी यूनिवर्सिटी (काहिरा) मिश्र में दाखिला लिया और यहां से उच्च शिक्षा ग्रहण कर 1966 में पूरे मिश्र में टॉप किया। मुफ्ती आजम हिंद मुस्तफा रजा खां और मुफ्ती सय्यद अफजाल हुसैन उनके उस्तादों में रहे। 1967 से शिक्षा देने का काम शुरू किया। 1978 में दरगाह आला हजरत स्थित मदरसा मंजरे इस्लाम के प्रधानाचार्य रहे। 12 सालों तक उन्होंने शिक्षण कार्य किया। इस बीच 1968 में उनकी शादी हुई। इससे पहले 15 जनवरी 1962 में मुफ्ती आजम हिंद ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उन्होंने पहला हज 1983, दूसरा हज 1985, तीसरा हज 1986 में किया। बरेलवी सुन्नी मसलक के सरताज ताजुशरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां धार्मिक मामलों के प्रशासन से लेकर कला, संस्कृति, खेल, मीडिया परोपकार, उदारता और विकास, राजनीतिक,
विज्ञान प्रौद्योगिकी सामाजिक मुद्दे पर भी इल्म के समंदर कहे जाते थे।
साउथ अफ्रीका से मुफ़्ती आफताब कासिम अपने परिवार के साथ, अमेरिका से मौलाना डॉक्टर ख़ालिद, सऊदी अरब से हज़रत फरहान रज़ा क़ादरी, ओमान से मौलाना सलमान फरीदी, मारीशस से हाफिज इस्लाम अजहरी, कोलंबो से मौलाना गुलाम मुस्तफ़ा, हाजी बाबू, बांग्लादेश से हाजी अमीन, दुबई से शारिक अजहरी, सैफ़ अजहरी, शाहनवाज़ अजहरी, सय्यद सुफियान समेत कई मुल्के से ज़ायरीन पहुँच चुके है। मुफ्ती ए आज़म पाकिस्तान मुफ़्ती मुनीब उर रहमान, मिस्र की अल अज़हर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन मुफ़्ती ओसामा महमूद अजहरी, अल्लामा महमूद आफंदी, मशहूर शायार ओवैस क़ादरी, तुर्की के राष्ट्रपति समेत मुल्क़ भर की तमाम छोटी बड़ी दरगाह अजमेर शरीफ, कलियर शरीफ, कालपी शरीफ, मारहरा शरीफ, देवा शरीफ आदि ने भी खिराज़ ए अक़ीदत पेश की है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ताजुसशरिया के विसाल पर खिराजे अक़ीदत पेश की है। उन्होंने पूर्व मंत्री रियाज़ अहमद को बरेली भेजा है। रियाज़ अहमद ने दामाद ए शहजादा ताजुसशरिया सलमान हसन क़ादरी व आला हज़रत ट्रस्ट के जनाब मोहतिशिम रज़ा खान से मुलाकात कर अखिलेश यादव जी से फोन पर बात करायी जिसमें अखिलेश जी ने कहा कि अज़हरी मियां का दुनिया से जाना एसी क्षति है जिसकी पूर्ति न मुमकिन है। उन्होंने सभी चाहने व मानने वालों को सांत्वना दी। उत्तराखड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री आजम खान, केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दिकी, पूर्व विधायक फूल बाबू, शिवपाल सिंह यादव आदि ने भी खिराजे अक़ीदत पेश की है।

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