दो वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षक ले सकेंगे पीएचडी की डिग्री, इस तरह कर सकते हैं आवेदन

harshita's picture

RGA news

मधेपुरा विवि के नवनियुक्त शिक्षक नियमानुसार पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे।

मधेपुरा विवि के नवनियुक्त शिक्षक नियमानुसार पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। ऐसे शिक्षकों को पीएचडी करने के लिए पीएटी परीक्षा भी नहीं देनी होगी। ये शिक्षक विधिवत पीएटी के लिए आवेदन फार्म भरेंगे और सीधे पीएचडी नामांकन के लिए आयोजित साक्षात्कार में शामिल होंगे

बीएन मंडल विवि में एक वर्ष की सफल परीक्ष्यमान अवधि के साथ कम से कम दो वर्ष की निर्बाध सेवा पूरी कर चुके नवनियुक्त शिक्षक नियमानुसार पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। स्नातकोत्तर विभागों व अंगीभूत महाविद्यालयों में स्वीकृत व रिक्त पदों पर नियुक्त ऐसे शिक्षकों को पीएचडी करने के लिए पीएटी परीक्षा भी नहीं देनी होगी। ये शिक्षक विधिवत पीएटी के लिए आवेदन फार्म भरेंगे और सीधे पीएचडी नामांकन के लिए आयोजित साक्षात्कार में शामिल होंगे।

उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कुलपति डॉ. आरकेपी रमण के आदेशानुसार कुलसचिव डॉ. कपिलदेव प्रसाद ने आशय की अधिसूचना जारी कर दी है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय अधिसूचित एक उच्च स्तरीय समिति के प्रतिवेदन के आलोक में लिया गया है। यह समिति संकायाध्यक्षों एवं स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों की पांच फरवरी को हुई बैठक के निर्णयानुसार पीएचडी से संबंधित विभिन्न मामलों पर निर्णय के लिए गठित की गई थी। समिति के अध्यक्ष प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा ङ्क्षसह, सदस्य सचिव विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार यादव, सदस्य के रूप में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राज कुमार ङ्क्षसह, मानविकी संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. उषा सिन्हा, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ. लम्बोदर झा और समन्वयक निदेशक अकादमिक प्रोफेसर डॉ. एमआई रहमान थे। डॉ. शेखर ने बताया कि वैसे शिक्षक जो शोध करने की सभी अर्हताओं को पूरा करते हैं और विश्वविद्यालय अंतर्गत स्नातकोत्तर विभागों या विश्वविद्यालय मुख्यालय से आठ किलोमीटर की परिधि में आने वाले अंगीभूत महाविद्यालयों में विधिवत नियुक्त हैं, उन्हें शैक्षणिक अवकाश लेने की आवश्यकता नहीं है।

 आठ किलोमीटर की परिधि से बाहर के शिक्षकों को कोर्स वर्क की कक्षाओं में उपस्थित रहने के लिए स्नातकोत्तर विभागों अथवा विश्वविद्यालय मुख्यालय के किसी अंगीभूत महाविद्यालय में प्रतिनियोजित किया जाएगा। शोधकार्य के दौरान यदि शिक्षक किसी दूर-दराज के महाविद्यालय में नियुक्त व कार्यरत हैं, तो उन्हें उनके शोध निदेशक के विभाग या महाविद्यालय में प्रतिनियोजित कर दिया जाएगा। यह भी अधिसूचित किया गया है कि इस विश्वविद्यालय के शिक्षक यदि अन्य विश्वविद्यालय में शोध कार्य करना चाहते हैं तो वह विधिवत रूप से अवकाश स्वीकृति के पश्चात ही शोध कार्य संपादित कर सकते हैं। विश्वविद्यालय कर्मी, जो नियमानुकूल शोध-कार्य करने की अर्हता रखते हैं और शोध कार्य करना चाहते हैं, शोध विनियम-2016 में वर्णित नियमानुसार शोध-कार्य कर सकते हैं। बताया कि अतिथि शिक्षकों के लिए शैक्षणिक अवकाश का प्रावधान नहीं है।

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.