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RGAन्यूज़
Maharana Pratap Jayanti 2021: आज है महाराणा प्रताप जयंती, जानें उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
Maharana Pratap Jayanti 2021 आज हम बात कर रहे हैं वीरों की भूमि राजस्थान में जन्मे महान हिंदू राजा महाराणा प्रताप की जिन्होंने मुगल शासक अकबर को कई बार रणभूमि में टक्कर दी। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था
Maharana Pratap Jayanti 2021: आज हम बात कर रहे हैं वीरों की भूमि राजस्थान में जन्मे सोलहवीं शताब्दी के महान हिंदू राजा महाराणा प्रताप की, जिन्होंने मुगल शासक अकबर को कई बार रणभूमि में टक्कर दी। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था। लेकिन राजस्थान का राजपूत समाज का एक बड़ा हिस्सा महाराणा प्रताप का जन्मदिन पंचांग के हिसाब से मनाता है क्योंकि सन 1540 में 9 मई के दिन ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया तिथि थी। इस हिसाब से इस वर्ष महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती आज 13 जून 2021 दिन रविवार को है।
आइए जानते हैं महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में, जिसे जानने की हर भारतवासी के मन में चाहत रहती है।
1. महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में 9 मई, 1540 ई. को हुआ था, उन्होंने अपनी मां से ही युद्ध कौशल सीखा था।
2. देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध आज भी पढ़ा जाता है। राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया ये युद्ध बहुत ही विनाशकारी था।
3. हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था।
4. हल्दीघाटी का युद्ध न तो अकबर जीत सका था और न ही महाराणा हारे थे। मुगलों के पास बहुत बड़ी सेना थी, तो राणा प्रताप के पास वीरों की कोई कमी नहीं थी।
5. हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास महज 20 हजार सैनिक थे और अकबर के पास 85 हजार सैनिक थे। इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने साहस के साथ जंग लड़ी और आजादी के लिए संघर्ष करते रहे।
6. राजा महाराणा प्रताप के भाले का वजन कुल 81 किलो था, साथ ही उनके छाती का कवच 72 किलो का था। भाला, कवच, ढाल और दो तलवारों के साथ उनके अस्त्र और शस्त्रों का वजन 208 किलो था।
7. इतिहासकारों की माने तो अकबर ने महाराणा प्रताप से समझौते के लिए 6 दूत भेजे थे, लेकिन महाराणा प्रताप ने हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योंकि राजपूत योद्धा कभी भी किसी के सामने घुटने नहीं टेकते।
8. महाराणा प्रताप का सबसे चहेता घोड़ा चेतक था, उनके तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी बहुत बहादुर था। हल्दीघाटी की लड़ाई में गंभीर चोटें लगने के कारण चेतक की मौत हो गई थी।
9. हल्दीघाटी युद्ध के दौरान जब मुगल सेना महाराणा के पीछे पड़ी थी, तब चेतक ने राणा को अपनी पीठ पर बिठाकर, कई फीट लंबे नाले को छलांग लगा कर पार किया था। आज भी हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है।