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शिक्षक नेता ने कहा कि शिक्षक, कर्मचारी शासन के आदेश का पालन करता है, लेकिन उसकी उपेक्षा की जाती है।
कर्मचारियों का कहना है कि जिला प्रशासन अथवा निर्वाचन विभाग ने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं किया कि जो सेक्टर मजिस्ट्रेट एवं अन्य चुनाव से संबंधित कर्मचारी संक्रमित हो गए थे उनका क्या हुआ। कितने लोग मर गए कितने बचे या कौन-कौन अस्पताल में भर्ती हैं।
प्रयागराज, पिछले दिनों कौन कर्मचारी कोरोना वायरस संक्रमण का शिकार हुआ या फिर कौन अस्वस्थ हुआ। इन सभी बातों का कोई विवरण विभाग के पास नहीं है। यही वजह है कि पंचायत उप चुनाव में किसी की भी ड्यूटी लगा दी गई। यह आरोप लगाया है शिक्षक संगठनों और कर्मचारियों ने
कर्मचारियाें और शिक्षकों में व्यवस्था को लेकर आक्रोश
बहुत से शिक्षक व कर्मचारी अप्रैल में चुनाव ड्यूटी में संक्रमित हो गए थे। अब वह पोस्ट कोविड-19 के कारण उत्पन्न होने वाली अन्य शारीरिक व्याधियों कमजोरी, चिंता, तनाव, अवसाद, हृदय संबंधी बीमारी, स्पोंडिलाइटिस, चक्कर आना, नींद ना आना सरीखे तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्हीं कर्मचारियों को दोबारा ड्यूटी पर भेजा गया। इसे लेकर तमाम कर्मियों व शिक्षकों में रोष है।
कर्मचारियों के वैक्सीनेशन का भी नहीं किया गया प्रयास
कर्मचारियों का कहना है कि जिला प्रशासन अथवा निर्वाचन विभाग ने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं किया कि जो सेक्टर मजिस्ट्रेट एवं अन्य चुनाव से संबंधित कर्मचारी संक्रमित हो गए थे, उनका क्या हुआ। कितने लोग मर गए, कितने बचे या कौन-कौन अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। किसी कर्मचारी का वैक्सीनेशन कराने का भी प्रयास नहीं किया गया।
शिक्षकों व कर्मचारियों की उपेक्षा की जा रही है : बृजेंद्र सिंह
शिक्षक संगठनों का कहना है कि इसी उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते मृत शिक्षकों की भी चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई। ऐसे आदेश प्रशासन पर धब्बा बनते हैं लेकिन व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। संवेदनहीनता की हद यह कि एक भी कर्मचारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास नहीं किया गया। शिक्षक नेता बृजेंद्र सिंह का कहना है कि जान जोखिम में डालकर प्रत्येक शिक्षक व कर्मचारी शासन के आदेश का पालन करता है बावजूद उसकी उपेक्षा की जाती है। यह स्वस्थ कार्यप्रणाली नहीं है।