कोरोना संकट के चलते स्‍वजन नहीं हो सके शामिल, सैन्‍य अधिकारियों व प्रशिक्षकों ने चढ़ाए युवाओं के कंधों पर सितारे

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देश-विदेश के गणमान्य व सशस्त्र सेनाओं के उच्चाधिकारी भी सीमित संख्या में मौजूद रहे।

कोरोना संकट के चलते इस बार भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में हुई पासिंग आउट परेड सादगी के साथ हुई। हालांकि परेड के दौरान सभी परंपराएं निभाई गईं लेकिन अंतर इतना रहा कि इस बार जेंटलमैन कैडेटों के स्वजन और नाते-रिश्तेदार परेड देखने के लिए अकादमी नहीं पहुंच सके।

 देहरादून: कोरोना संकट के चलते इस बार भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में हुई पासिंग आउट परेड सादगी के साथ हुई। हालांकि परेड के दौरान सभी परंपराएं निभाई गईं, लेकिन अंतर इतना रहा कि इस बार जेंटलमैन कैडेटों के स्वजन और नाते-रिश्तेदार परेड देखने के लिए अकादमी नहीं पहुंच सके। देश-विदेश के गणमान्य व सशस्त्र सेनाओं के उच्चाधिकारी भी सीमित संख्या में मौजूद रहे। ऐसे में अभिभावकों की भूमिका अकादमी में तैनात सैन्य अधिकारियों, उनके परिवार व प्रशिक्षकों ने निभाई है। इन सभी ने पासिंग आउट बैच के कैडेटों की पीपिंग (कंधे पर सितारे चढ़ाए) की। परेड के दौरान यह भावुक पल भी रहे हैं।

गुरु-शिष्य परंपरा के निवर्हन के इन पलों को अभिभावकों ने डिजीटल प्लेटफार्म पर विभिन्न माध्यमों से लाइव देखा। कैडेट की पीपिंग करने के बाद कई सैन्य अधिकारियों ने वीडियो कॉल के जरिए उनके माता-पिता से भी बात की। वहीं पश्चिमी कमान के जनरल कमांडिंग इन चीफ ले. जनरल आरपी सिंह, अकादमी के समादेशक ले. जनरल हरिंदर सिंह व अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने मित्र देशों के कैडेटों के कंधों पर सितारे सजाए। सुबह तेज बारिश होने के कारण निर्धारित समय से परेड दो घंटे देरी से शुरू हुई। सुबह आठ बजे से साढ़े दस बजे तक आयोजित हुई पासिंग आउट परेड, पीपिंग व ओथ सेरेमनी में कोविड-19 के लिए जारी एडवाइजरी के अनुरूप शारीरिक दूरी व अन्य नियमों का पालन किया गया। कैडेट से लेकर वरिष्ठ सैन्य अधिकारी तक सभी चेहरे पर मास्क पहनकर ही परेड में शामिल हुए हैं।

 युवाओं ने चुनी देश सेवा की राह

देवभूमि उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां के शूरवीरों के पराक्रम के किस्से देश-विदेश तक फैले हैं। हर साल पहाड़ी जिलों से बड़ी संख्या में युवा आइएमए पीओपी के जरिये सेना में अफसर बनते हैं। इस साल भी पहाड़ के युवाओं ने अपना वर्चस्व कायम किया है।

उत्तरकाशी के रजत भंडारी शनिवार को सेना में अफसर बने हैं। उनके पिता सोबन सिंह भंडारी नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पर्वतारोहण विशेषज्ञ हैं। वहीं, मां शशि भंडारी गृहणी हैं। डीएसबी पब्लिक स्कूल, ऋषिकेश से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली विवि से कंप्यूटर साइंस में ऑनर्स किया। साथ ही सीडीएस की तैयारी करते रहे और 2019 में सीडीएस परीक्षा पास कर सेना की मुख्य धारा में शामिल हो गए।

उत्तरकाशी के सुमित भट्ट भी शनिवार को आइएमए से कठिन प्रशिक्षण पास कर लेफ्टिनेंट बने। उनके पिता जयप्रकाश भट्ट हवलदार पद से सेवानिवृत्त हैं। सुमित ने 12वीं की पढ़ाई एमडीएस पब्लिक स्कूल, उत्तरकाशी से की। इसके बाद तैयारी में जुटे रहे और एनडीए के जरिये सेना में अफसर बनने का सपना साकार किया।

कौसानी, बागेश्वर निवासी मेघ पंत शनिवार को सेना में लेफ्टिनेंट बने। उनके पिता भास्कर पंत नायक सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं और मां ममता देवी गृहणी। उधर, सितारगंज के पार्थ भट्ट भी सेना की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने वर्ष 2017 में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से 12वीं पास कर पहली बार में ही एनडीए की परीक्षा पास कर अफसर बनने की पहली सीढ़ी चढ़ी।

कर्णप्रयाग के रजत बने अफसर

चमोली, कर्णप्रयाग के रजत नेगी ने सेना में अफसर बनकर सफलता की इबारत लिखी। रजत ने हाईस्कूल तक की पढ़ाई कर्णप्रयाग के आदर्श विद्या मंदिर से की। वर्ष 2016 में 12वीं एसजीआरआर, कर्णप्रयाग से पास कर पहली बार में ही एनडीए की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। रजत के पिता सुजान सिंह नेगी राजकीय इंटर कॉलेज, केदारूखा में अध्यापक हैं और मां बिमला नेगी गृहणी। उनकी बड़ी बहन मनीषा नेगी ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार से मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं।

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