एचएयू के विज्ञानियों ने धान की खेती में पानी की बचत और पैदावार बढ़ाने की खोजी तकनीक, बस करें ये काम

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RGAन्यूज़

धान की सीधी बिजाई पर किए गए प्रयोग से निकले परिणाम, धान के लिए उपयुक्त

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों की मानें तो सीधी बिजाई किसानों की मदद कर सकती है। धान की सीधी बिजाई करने पर विज्ञानियों ने पाया कि पैदावार भी अच्छी हुई और पानी की बचत भी हुई।

हिसार, उत्तरी हरियाणा में धान व गेहूं मुख्य फसले हैं। इसके साथ ही यहां भू-जलस्तर नीचे जाने की समस्या कुछ वर्षों में बड़ी हो गई है। यही कारण है कि सरकार यहां धान के स्थान पर दूसरी फसलों को करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है। न चाहकर भी किसान धान नहीं छोड़ना चाहते हैं ऐसे किसान धान की खेती कर सकेंगे और पानी भी बचेगा। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों की मानें तो सीधी बिजाई किसानों की मदद कर सकती है।

धान की सीधी बिजाई करने पर विज्ञानियों ने पाया कि पैदावार भी अच्छी हुई और पानी की बचत भी हुई। हालांकि सरकार की मेरा पानी मेरी विरासत के तहत किसान भाइयाें को सुझाव दिया गया है कि प्रान्त उत्तरी पूर्वी क्षेत्राें में धान का क्षेत्रफल कम करके मक्का की फसल की बिजाई करें। जिससे वजह से भूमिगत पानी का स्तर नीचे जाने से बच जायेगा।

क्या होती है धान की सीधी बिजाई

धान की सीधी बिजाई में धान की फसल को सीधी ड्रिल द्वारा गेहूं की तरह बोया जाता है। गेहूं की कटाई के बाद हैरो व क्लटीवेटर चलाकर लेसर लेवलर द्वारा खेत को एक सार करने के बाद पानी लगाकर बत्तर आने पर धान की बिजाई की जाती है। इस विधि से बिजाई करने से किसानों को कई फायदे होंगे।

सीधी बिजाई के फायदे

- पहला पानी बिजाई के 21 दिन बाद ही लगाना पड़ता है। जबकि कद्दू की गई फसल में खेत में लगातार पानी खड़ा करना पड़ता है। इसलिए 15.20 फीसद पानी की बचत होती है।

- सीधी बोई गई धान की फसल में खरपतवार की समस्या कम आती है। पहला पानी 21 दिन बाद लगाने पर जड़े गहरी चली जाती है इसलिए फसल में लौह तत्व की कमी नही आती है। पैदावार रोपाई की गई धान के बराबर आती है और धान के बाद बोई गई गेहूं की फसल की पैदावार 1.15 क्विंटल प्रति एकड़ ज्यादा आती है।- रोपाई के लिए प्रयुक्त मशीनरी व लगाई का खर्चा 4 हजार रूपये प्रति एकड़ की बचत होती है।

सीधी बिजाई के लिए किन-किन बातों का रखें ध्यान

एग्रोनॉमी विभाग के अध्यक्ष डा. एसएस पूनिया ने बताया कि सीधी बिजाई केवल भारी व हल्की भारी जमीन व उन खेताें में ही करें। जहां 4.5 साल से धान की फसल उगाई जा रही हाें। हल्की रेतीली मिट्टी वाली जमीन में लौह तत्व की कमी आती है व खरपतवाराें की समस्या भी रोपाई वाले धान की बजाए ज्यादा आती है। सीधी बिजाई के लिए कम समय में पकने वाली किस्में जैसे पूसा 1509, पूसा 1121, पूसा 1617, पूसा बासमती 1 व पलयन किस्में हाईब्रिड लो कम दिनाें में पकते है केवल उन्ही का ही चुनाव करें।

जो किसान धान के बाद आलू की फसल लेते है तो पूसा बासमती 6, पूसा 1509, पी आर 126 या अन्य कम अवधि में पकने वाली किस्म का प्रयोग करें।

खेत कैसे तैयार करें

सीधी बिजाई वाले खेत में पहले लेजर लेवलर लगा दें जिससे पानी की बचत के साथ.साथ खरपतवार नियंत्रण होगा व बीज अच्छे से खेत में उगेगा। लेजर लेवलर लगाने के बाद खेत में पानी लगा दे। जब खेत तरबतर में आ जाए तो हल्का कल्टीवेटर लगाकर दो बार सुहागा लगाने के तुरंत बाद बिजाई कर दें।

बिजाई करने का तरीका

खेत तैयार करने के बाद तरबतर खेत में धान की सीधी बिजाई कर सकते हैं। खेत की तैयारी व धान की सीधी बिजाई दोपहर के समय ना करें। बिजाई करने के लिए लक्की सीड ड्रील उपयुक्त है जिससे की बिजाई के साथ.साथ खरपतवारनाशी का छिड़काव भी किया जा सकता है। प्रेस व्हील वाली सीड ड्रील से बिजाई करने से भी कई फायदे हैं। जैसे कि इसमें करंड की समस्या बहुत कम आती है, खेत में नमी अधिक समय तक रहती हैं, खरपतवाराें पर नियंत्रण भी अधिक समय तक होता है। अगर यह मशीनें उपलब्ध न हो तो धान की बिजाई वाली आम ड्रिल से धान की सीधी बिजाई करके तुरंत नदीन नाशक का स्प्रै कर दें। बिजाई करते समय कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें आैर बिजाई 3 से 4 सैंटीमीटर गहराई पर करें।

सिंचाई का तरीका

तर बतर खेत में बिजाई के बाद पहला पानी बिजाई के तकरीबन 21 दिन बाद लगाएं। देर से पानी लगाने से पौधाें की जड़ें गहरी चली जाएगी व जमीन का उपरी भाग शुरुआती दौर में कम बढ़ेगा। पहली सिंचाई देरी से करने से खरपतवाराें की समस्या भी कम आती है क्याेंकि जमीन की उपरी सतह सुख जाती है जिससे खरपतवार कम उगते हैं पानी देरी से लगाने से जड़ाें की वृद्धि अधिक होती हैं जिससे वे आसानी से पोषक तत्व ले सकती हैं।

-----किसानों को इस विधि का अधिक से अधिक फायदा उठाना चाहिए । इसके साथ ही सरकार की मेरा पानी मेरी विरासत योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। सीधी बिजाई विज्ञानियों द्वारा प्रयोग कर जारी की गई है। इसमें किसान 15 से 20 फीसद पानी की बचत और कम लागत से धान उगा सकते हैं।

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