महामारी ने समझाई ऑक्सीजन की महता तो इंडोर और आउट डोर पौधों की दोगुना बढ़ी डिमांड

harshita's picture

RGAन्यूज़

घरों और खेतों में हरियाली बढ़ाने के लिए लोगों में लगी होड़, नर्सरियों की हुई पौ बारह

पिछले वर्ष और इस बार महामारी के चलते दुनिया में ऑक्सीजन की कमी ऐसी हुई कि घर हो चाहे खेत पौधों से हरा भरा करने की तैयारी में हर कोई उत्साहित है। इसका जीता जागता उदाहरण पौधों की नर्सरियों में देखा जा सकता है।

भिवानी इंडोर में स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, एरिका पाम, जलबेरा, ऐलोविरा तो आउट डोर के लिए त्रिवेणी, आम, अमरूद, नीम, शहतूत आदि लोगों की पहली पसंद बने हैं। जी हां महामारी ने ऑक्सीजन की महता समझाई तो इंडोर और आउट डोर पौधों की डिमांड दोगुना से भी ज्यादा हो गई है। यूं कहें कि नर्सरियों पर पौधे खरीदने वालो की भीड़ बढ़ गई है। यूं कहें कि लोगों में पर्यावरण संरक्षण की जिद बढ़ी है और यह आने वाले समय के लिए शुभ संकेत है। यह वर्तमान और भावी पीढ़ी के उत्तम स्वास्थ्य के लिए भी सार्थक पहल मानी जा रही है।

पिछले वर्ष और इस बार महामारी के चलते दुनिया में ऑक्सीजन की कमी ऐसी हुई कि घर हो चाहे खेत पौधों से हरा भरा करने की तैयारी में हर कोई उत्साहित है। इसका जीता जागता उदाहरण पौधों की नर्सरियों में देखा जा सकता है। कुछ दिन पहले तक यहां पर पौधों के खरीददार बहुत कम हुआ करते थे अब यहां पर खरीदारों की संख्या एकाएक बढ़ गई है। इतना ही नहीं एक-एक पौधे का महत्व समझ कर उनकी खरीददारी की जा रही है।

भरपूर ऑक्सीजन देने वाले इंडोर पौधों की शहर में सबसे ज्यादा डिमांड :

नर्सरी संचालकों का कहना है कि शहरों में इंडोर में लगने वाले और भरपूर ऑक्सीजन देने वाले पौधों की डिमांड दो गुणा से भी ज्यादा बढ़ गई है। इन पौधों में मुख्य रूप से स्नेक प्लांट, रबड़ प्लांट, एरिका पाम, मनी प्लांट, जलबेरा, एेलोविरा, तुलसी, लेमन टी, मोतिया जैसे पौधे शामिल हैं। मोतिया पौधे के फूल से निकलने वाली सुगंध से जहां घर महक उठता है वहीं तुलसी घर में देवी के रूप में वास करती है। विशेषज्ञ कहते हैं ये पौधे जिन घरों में होते हैं उन घरों से बिमारी या किसी भी प्रकार का संक्रमण कोसो दूर रहता है।

गांवों में खेतों और शामलात भूमि के लिए त्रिवेणी बनी पहली पसंद :

गांवों खेतों के अलावा शामलात भूमि या जहां कहीं सार्वजनिक जगह मिलती हैं वहां पर त्रिवेणी लगाने में लोग ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। इसके अलावा बरगद, पीपल, नीम अर्जुन, पिलखन, कदम, मोलसरी, आलस्टोनिया, आम, अमरूद, जामुन, शहतूत, मौसमी, किन्नू, आंवला, बेरी के अलावा फूलदार पौधों को भी अब ग्रामीण अपनाने लगे हैं। इनमें गुड़हल, चांदनी, गंदराज, मोतिया, मोगरा, मदोकामनी, रात की रानी, हमेलिया आदि पौधों को भी खूब लगाया जा रहा है। यह माना जा रहा है कि इस बार बरसात के सीजन में पौधे रोपित करने और उनका संरक्षण करने पर आम लोगो का ज्यादा ध्यान रहेगा।

लोगों में पौधा और प्रकृति प्रेम जगाने के लिए दैनिक जागरण का आभार :

महामारी से भले ही लोग प्रभावित रहे पर इसने एक सीख भी दी है कि प्रकृति के साथ जो जीएगा वह सुखी और स्वस्थ जीवन जीएगा। इसके अलावा दैनिक जागरण ने अनमोल है ऑक्सीजन के नाम से जो अभियान शुरू किया था। उसने लोगों में घर और बाहर हरियाली बढ़ाने के प्रति इतना ज्यादा प्रेम पैदा कर दिया कि अब लोग घरों में अधिक से अधिक पौधे लगाने लगे हैं। इससे पहले कुछ गिनेचुने लोग ही शौक के तौर पर घरों में पौधे लगाते थे। अब घर में ऑक्सीजन की जरूरत के हिसाब से पौधे लगाए जा रहे हैं। ग्रामीणों में भी अब घर और खेतों में पौधे लगाने का क्रेज बहुत ज्यादा बढा है। इसके लिए दैनिक जागरण का बहुत-बहुत आभार।

पौधे हैं तो जीवन है इसलिए अधिक से अधिक पौधे लगाएं :

पौधे हैं तो जीवन है। महामारी ने आम और खास लोगों को इसे अच्छी तरह से समझा दिया है। हम तो यही कहेंगे कि पौधे हैं तो हरियाली है और हरियाली है तो स्वस्थ जीवन है। इसलिए घर हो चाहे खेत हरियाली बढ़ाएं। फल और फूलदार पौधों के अलावा अपने घरों में सब्जियां उगाएं। रासायनिक खाद से दूर रह कर देशी खाद का प्रयोग करें।

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.