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उस मां को क्या पता था कि अगली सुबह उसे वो नजारा देखने को मिलेगा जिसे वो कभी भूला न पाएगी। कल तक जिसके साथ खेलती, उसे अपने हाथों से खिलाती, नन्ही सी परी को बोलना सिखाती, हर रोज उसे साथ लेकर सोती... पर अब ऐसा कभी न हो पाएगा।
यह सच्ची कहानी है नायमा बीबी की जो नींद से जागी तो उसके होश ही उड़ गए। क्योंकि जब सुबह वो उठी तो उसके साथ सोई चार माह की बच्ची गायब थी। खोजबीन के दौरान जब उसने यह देखा कि बच्ची को जिंदा ही सियार नोच-नोच कर खा रहे थे। दिल को दहला देने वाली घटना को देख मां सन्न रह गई। वह खुद को संभाल न सकी और बदहवास होकर जमीन पर गिर पड़ी। यह घटना पाकुड़ सदर प्रखंड के पूर्वी झिकरहट्टी पंचायत के सकरघाट गांव की है। जहां सोमवार की भोर में उज्जमन शेख की बच्ची को सियार उठाकर ले गए और नोच खाया।
बच्ची की मां नायमा बीबी ने बताया कि वह बच्ची के साथ सोई हुई थी। भोर में जब उसकी नींद टूटी तो बच्ची गायब थी। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को जगाया। आसपास के लोग भी शोर शराबा सुन कर भागे आए। लोगों ने बच्ची की खोजबीन शुरू की। घर से थोड़ी दूर पर परिजनों ने जो देखा उसे मानो उनके पांव तले जमीं ही खिसक गई। बच्ची को कुछ सियार नोच-नोच कर खा रहे थे। जब तक लोग वहां पहुंचे तब तक सियार बच्ची के शरीर का आधे से अधिक हिस्सा खा चुके थे। बाकी बचे हिस्से को परिजन किसी तरह कपड़े में बांध कर लाए और उसको दफनाया। नायमा बीबी इस मामले में खुद का दोषी मानती है। उसका कहना था यदि वह इतनी गहरी नींद में न सोती तो शायद उसकी बच्ची के साथ ऐसा दर्दनाक हादसा न होता। उसने बताया कि घर में फाटक व घेराबंदी नहीं रहने के कारण सियार घुस आए।
बच्ची अपने पांच भाई, बहनों में सबसे छोटी थी। उसका नाम टुबिया खातून रखा था। चार माह की नन्हीं बच्ची की इस तरह से मौत होगी, यह परिवार वालों ने सोचा भी नहीं था। बच्ची की मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। बच्ची की मां सहित पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है। नायमा बीबी अपने मायके आई हुई थी। उसका ससुराल मुफसिल थाना क्षेत्र के भवानीपुर गांव में है। वह उज्जमन शेख की बीबी है।
झिकरहट्टी इलाके में आतंक के पर्याय बनते जा रहे हैं सियार:
सियार (गीदड़) की पहचान डरपोक किस्म के जानवर के रूप में है, लेकिन झिकरहट्टी इलाके में इनकी परिभाषा बदलती जा रही है। यहां डरपोक की छवि गायब सी हो गई है। अब तो सियार आंतक के पर्याय बनते जा रहे हैं। झिकरहट्टी व आसपास के पंचायतों के लोग सियारों के खौफ से डंडे लेकर आते-जाते हैं। झिकरहट्टी निवासी सहीदुल शेख की माने तो खेत जाने के दौरान ग्रामीण यदि डंडे लेकर नहीं जायेंगे तो सियार उन पर हमला कर सकते हैं। ऐसा कई बार हो चुका है जब सियारों के झुंड ने अकेले इंसान पर हमला बोल दिया।
घटना के बाद अब बच्चों को लेकर सतर्क हुए परिजन
बच्ची को सियारों द्वारा नोच खाने के बाद आसपास के गांवों के लोग छोटे बच्चों को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं। झिकरहट्टी गांव के निवासी मोतिउर शेख, अबिबू शेख, रहमत शेख ने बताया कि अब लोग अपने बच्चों को घर के अंदर सुलाने लगे हैं। जिनके पास ऐसी व्यवस्था नहीं है वह रात में कम ही सोते है। परिवार का एक व्यक्ति पहरा देता है। जिससे इस तरह की कोई घटना अब न घटने पाए।