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RGA न्यूज़
घड़ियाल परियोजना पर करोड़ों खर्च अवैध खनन पर शिकंजा नहीं चंबल नदी की बालू ले जाने के दौरान घड़ियालों के अंडे नष्ट कर रहे खनन माफिया
आगरा:- सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी चंबल नदी में बालू खनन का खेल बंद नहीं हो रहा। यह हाल तब है जब घड़ियाल परियोजना पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। बालू के खनन से एक ओर घड़ियालों की वंश वृद्धि पर असर पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर भगर्भ जलस्तर भी लगातार गिर रहा है।
बाह-पिनाहट क्षेत्र स्थित चंबल नदी पर चार दशक से भी अधिक समय से घड़ियाल परियोजना का काम चल रहा है। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने नदी से बालू खनन पर रोक लगाई है। इसके बावजूद स्थानीय अफसरों से मिलीभगत से यह खेल बदस्तूर जारी है। चंबल नदी के एक दर्जन से अधिक घाटों पर बालू का अवैध खनन चल रहा है। यहां सुबह सबेरे और रात के समय ऊंटों के जरिये ट्रैक्टर-ट्राली व बालू को ले जाया जाता है। रास्ते ऊंचे-नीचे होने के कारण पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के वाहन यहां तक नहीं पहुंच पाते। हमारे क्षेत्र में आर्गेनाइज तरीके से खनन नहीं हो रहा। दूसरे राज्यों से जरूर शिकायतें आती हैं। इनका निस्तारण करते हैं। चंबल सेंक्चुरी एरिया बहुत बड़ा है। इसलिए कुछ लोग ऊंटों के जरिये खनन करा रहे हैं। इसकी शिकायत मिली है। जल्द कार्रवाई की जागएी।
घड़ियाल बालू में रखते है अंडे
घड़ियाल चंबल नदी की बालू में अंडे रखते हैं। इनसे निकलकर शिशु नदी में पहुंचते है। इसी क्षेत्र से बालू का खनन होता है। खनन माफिया बालू के साथ अंडे भी नष्ट कर देते हैं। यहां बालू खनन पर रोक नहीं लगने पर इनकी वंशवृद्धि पर भी असर पड़ सकता है। इन घाटों पर होता है अवैध खनन
बाह पिनाहट के क्यौरी, बीच का पुरा , उमरैठा, रेहा, बरैंडा, नंदगांव, बिट्ठौना, महुआशाला, कैंजरा, अमाही, प्यारमपुरा, बासौनी, हरलाल पुरा, सिमराई, गौंसिली, खेड़ाराठौर, करकौली, महगौली। ऊंटों के जरिये भी हो रहा अवैध खनन
ऊबड़-खाबड़ रास्ते होने के कारण ट्रैक्टर-ट्राली यहां ठीक से नहीं निकल पाते। खनन माफिया ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। अब वे ट्रैक्टर-ट्रालियों के अलावा ऊंटों के जरिये भी अवैध खनन करा रहे हैं। हाल में अवैध खनन में शामिल ऊंटों के वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद यह सूचना आम हुई।