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सिरसा में घग्घर नदी से 1988, 1989, 1994,1996, 2010 में भयंकर बाढ़ आई। अब फिर आ सकती है
मानसून की बारिश शुरू होते ही घग्घर नदी के समीप पड़ने वाले गांवों के लोग चैन की नींद नहीं सो पाते हैं। जिसका कारण घग्घर नदी ने जिले में कई बार तबाही मचाई है। अगर घग्घर नदी के तटबंध मजबूत किए जाएंगे। तभी ग्रामीणों को नींद आएगी।
सिरसा, मानसून से पूर्व बारिश होनी शुरू हो गई। मानसून की बारिश शुरू होते ही घग्घर नदी के समीप पड़ने वाले गांवों के लोग चैन की नींद नहीं सो पाते हैं। जिसका कारण घग्घर नदी ने जिले में कई बार तबाही मचाई है। अगर घग्घर नदी के तटबंध मजबूत किए जाएंगे। तभी ग्रामीणों को नींद आएगी। सिरसा में घग्घर नदी से 1988, 1989, 1994,1996, 2010 में भयंकर बाढ़ आई। इसी के साथ अनेकों पर तटबंध टूटने से ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ी।
अधिक पानी आने पर टूटने का खतरा
घग्घर नदी पर बांध करीब बीस वर्ष पहले बनाए गये। इसके बाद बांध भी कमजोर होते चले गए। हर वर्ष इनकी मरम्मत कर काम चलाया जा रहा है। जिले में कई गांवों के पास अब भी घग्घर नदी के तटबंध कमजोर है। घग्घर में पानी अधिक आने पर टूटने का अब भी डर है। घग्घर के साथ लगते गांव को बाढ़ से बचाने के लिए तटबंध व रिं बांध बनाए गए है। ताकि अधिक पानी आने से गांव में पानी प्रवेश नहीं हो पाए। लेकिन अब यही तटबंध बांध भी धीरे-धीरे कमजोर हो गए है
इनसे भी खतरा
घग्घर नदी में जिले की सीमा में 450 ऐसे प्वांइट हैं जहां पर बांध के नीचे से पाइप लाइन निकाली हुई है। यही से पानी का रिसाव होने से तबाही मचती है। घग्घर नदी के किनारे के आसपास कुछ किसानों ने ट्यूबवेल लगा कर दूर के खेतों में पाइप लाइन अवैध रूप से डाली हुई हैं। जिससे तटबंध कमजोर हो गए हैं। इस बार बरसात अच्छी बताई जा रही है जिस कारण बाढ़ का खतरा भी अधिक है। घग्घर के साथ लगने वाले मुसाहिब वाला, रंगा, लहंगेवाला, पनिहारी, ढाणी दिलबाग सिंह, कर्मगढ़, नागौकी, फरवांई कलां, बूढ़ाभाणा, नेजाडेला कलां व ओटू तक दर्जन भर गांव है। जहां से नदी गुजरती है।
----घग्घर नदी में बारिश के पानी को देखते हुए पुख्ता प्रबंध किए हुए हैं। नदी का जगह जगह निरीक्षण किया जा रहा है। जहां भी स्थिति टूटने की लग रही है। उस पर ध्यान दिया जा रहा है। नदी पर जो भी कमी रह गई है। उन्हें पूरा कर लिया जाएगा।
धर्मपाल, कार्यकारी अभियंता, घग्घर डिविजन, सिंचाई विभाग, सिरसा