इंजीनियरिंग के छात्र अश्‍वनी ने बनाया इम्‍युनिटी चेकर मोबाइल एप, जानें-इसकी खासियत

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RGA न्यूज़

मेरठ में बीटेक के छात्र ने किया तैयार एप, प्ले स्टोर पर है उपलब्ध।

मेरठ के अश्वनी के अनुसार इस एप को सामान्य स्वस्थ व्यक्तियों पर हुए शोध के आंकड़ों पर विकसित किया गया है। इसमें नाम आयु कौन सी वैक्सीन लगी पहली डोज या दूसरी कितने दिन पहले लगी आदि जानकारी देनी पड़ती है। इसमें आयु का भारांक 0.2 फीसद है।

मेरठ वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, चेन्नई में बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र और मेरठ निवासी अश्वनी चौधरी ने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता जांचने वाला मोबाइल एप बनाया है। 'इम्युनिटी चेकर' नामक इस एप को गूगल ने अपने प्ले स्टोर पर उपलब्ध कराया है। करनावल गांव के रहने वाले अश्वनी ने दो महीने तक आक्सफोर्ड सहित दुनियाभर के 15 से अधिक कोविड जर्नल में प्रकाशित शोध पत्रों के आंकड़ों के आधार पर एल्गोरिदम विकसित किया। इससे वैक्सीन लगने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का आकलन किया जा सकता है

ऐसे करता है काम

अश्वनी के अनुसार इस एप को सामान्य स्वस्थ व्यक्तियों पर हुए शोध के आंकड़ों पर विकसित किया गया है। इसमें नाम, आयु, कौन सी वैक्सीन लगी, पहली डोज या दूसरी, कितने दिन पहले लगी आदि जानकारी देनी पड़ती है। इसमें आयु का भारांक 0.2 फीसद है और वैक्सीन लेने के बाद बीता समय अहम है। हर बीते दिन के साथ इम्युनिटी बढ़ती है। अश्वनी ने कोविशील्ड पर कंपनी के 28 दिन में 95 फीसद इम्युनिटी के दावे और अन्य शोध में 28 दिन में 56 फीसद इम्युनिटी बनने का औसत निकाला है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीन लगवाने के छह महीने बाद सौ फीसद इम्युनिटी विकसित होती है। यह एप भी उसी के अनुरूप रिजल्ट बताता है।

कमाई से करेंगे कोविड पीडि़तों की मदद

अश्वनी का कहना है कि इम्युनिटी चेकर एप के जरिए विज्ञापन से जो भी कमाई होगी उसे वह कोविड पीडि़तों की मदद के लिए देंगे। इसके लिए एप में भी विज्ञापन देखने की अपील का संदेश आता है जिससे अधिकतम लोगों की मदद की जा सके। पहली बार यह एप दो जून को एप स्टोर पर उपलब्ध हुआ जिसका एक अपडेट भी वह दे चुके हैं। अश्वनी ने 10वीं की पढ़ाई ट्रांसलेम एकेडमी और 12वीं तक्षशिला पब्लिक स्कूल से की है।

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