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टीकरी बॉर्डर पर युवक को जिंदा जलाने वाले आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के बीच बढ़ती आपराधिक वारदातों पर सत्ता पक्ष के नेता सवाल उठा रहे हैं। पहले पश्चिम बंगाल की युवती से दुष्कर्म अब व्यक्ति को जिंदा जलाकर मारना। भाईचारे के लिए ऐसी वारदातों को खतरनाक बता रहे हैं
बहादुरगढ़, टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन स्थल पर गए कसार गांव के युवक मुकेश मुदगिल को जलाकर मार डालने की घटना ने इस आंदोलन पर एक और दाग लगा दिया है। पुलिस ने वारदात के मुख्य आरोपित कृष्ण को गिरफ्तार कर लिया है। जींद के रायचंदवाला गांव का रहने वाला है। उसे शुक्रवार को अदालत में पेश किया जाएगा। उससे पूछताछ चल रही । उधर, इस घटना के बाद सत्ता पक्ष के नेताओं द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं।
कसार की घटना के बाद पोस्टमार्टम के दौरान सिविल अस्पताल में पहुंचे पूर्व विधायक नरेश कौशिक ने कहा कि किसानों को आंदोलन करना है तो वे करते रहें। मगर आंदोलन के बीच इस तरह के आपराधिक प्रवृत्ति के जो लोग हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इस घटना में आरोपित द्वारा जिस तरह से वर्ग विशेष के खिलाफ द्वेषपूर्ण बात कही गई है, वह हमारे भाईचारे के लिए खतरनाक है। मेरा खाप संगठनों से भी अनुरोध है कि जो भी 36 बिरादरी के भाईचारे को खराब करने की कोशिश करता है, उसे किसी भी कीमत पर न बख्शा जाए। भाईचारे को खराब करने की कोशिश करने वाला व्यक्ति समाज के लिए घातक है।
राजनीति करें, पर सामाजिक भाईचारे को बख्श दें
विधायक कौशिक ने कहा कि इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री से भी बात की है। उन्होंने कहा कि जो लोग आंदोलन में आकर राजनीति करते हैं, वे सामाजिक भाईचारे को तो कम से कम बख्श दें। उन्होंने कहा कि आंदोलन में शामिल गलत लोगों के कारण बहादुरगढ़ के व्यापारी और उद्यमी समेत हर वर्ग परेशान है। किसानों को सम्मेलन करना है तो अपने इलाकों में करें। जो लोग पंजाब और उत्तर प्रदेश से यहां आकर बैठे हैं, वे अपने इलाकों में जाकर यह सब करें।
हम तो पहले ही कह रहे आंदोलन की शक्ल बदल चुकी : जजपा
जननायक जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सनवीर दलाल ने कहा कि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आंदोलनकारियों को लेकर जो बात कही है, वह सही है। आंदोलन की अब शक्ल बदल चुकी है। यह राजनीतिक शक्ल तो ले ही चुका है। इसमें गलत प्रवृत्ति के लोग भी रह-रहकर सामने आ रहे हैं। यह प्रायोजित आंदोलन बन रहा है। किसानों की भलाई का जहां तक सवाल है तो जजपा-भाजपा गठबंधन सरकार ने इसके लिए अभूतपूर्व कदम उठाएं हैं। विरोधियों के इशारे पर कुछ राजनीतिक लोग इस आंदोलन को केवल सरकार के विरोध का जरिया बनाए हुए हैं। इससे ज्यादा यह कुछ नहीं है।
शुरुआत में चंदा दिया, अब हमारे लिए ही परेशानी
कसार गांव के निवर्तमान सरपंच टोनी ने बताया कि शुरुआत में आंदोलन के लिए हम खूब चंदा दे चुके। मगर अब यह हमारे लिए ही परेशानी बनता जा रहा है। गांव के युवक की जान ले ली गई। गांव के पास आंदोलनकारी खुले में शौच करते हैं। इससे बहन-बेटियों का निकलना तक बंद है। हम शासन-प्रशासन से मांग कर चुके हैं आंदोलनकारियों को गांव से कुछ दूरी पर शिफ्ट कर दिया जाए। मगर इस बारे में कोई सुनवाई नहीं हो रही। आंदोलनकारियों से भी अपील की है, मगर वे नहीं मान रहे।
सरपंच को मुकेश ने बताई थी आपबीती
सरपंच टोनी के मुताबिक उनके पास मृतक के भाई का फोन आया था। तब वे मौके पर पहुंचे तो मुकेश बुरी तरह झुलसा हुआ था। उसे सिविल अस्पताल ले गए। यहां से रोहतक पीजीआइ लेकर पहुंचे। वहां से उसे सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर किया गया। ऐसे में वे उसे बहादुरगढ़ के ब्रह्मशक्ति अस्पताल ले आए। यहां पर उसकी मौत हो गई। रास्ते में मुझे मुकेश ने बताया था कि आंदोलन स्थल पर आरोपित कृष्ण समेत चार लोग थे। वहां पर पहले उन्होंने शराब पी। वह भी साथ था। फिर सके साथ झगड़ा कर दिया।
पांच मिनट रुक, तुझे अच्छी तरह भेजेंगे...
इसके बाद कृष्ण ने कहा पांच मिनट रुक तेरे को अच्छी तरह भेजेंगे, इसके बाद वह पेट्रोल ले आया और उसके ऊपर डालकर आग लगा दी। सरपंच टोनी ने बताया कि घटना के बाद मुख्य आरोपित इस तरह मौके पर इत्मीनान के साथ खड़ा था कि उसे कानून का कोई भय ही नहीं था। वह सरेआम जाति विशेष के खिलाफ टिप्पणी कर रहा था और यह साफ तौर पर कह रहा था कि दो बिरादरी के अलावा आंदोलन में और काेई वर्ग नहीं आया है।