दुनिया में ब्रांड बनेगा कानपुर का काला नमक, फ्रांस, जर्मनी, जापान, मारीशस और नेपाल तक होता निर्यात

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RGA न्यूज़

उत्पादों को दुनिया भर में ब्रांड के रूप में पेश करना चाहती है

अब केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय की कंपनी हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड ने इसका मानक तैयार कराने का बीड़ा उठाया है और इसके लिए पिछले सप्ताह पहली बार कंपनी के सभापति व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) डा. कमलेश कुमार कानपुर आए थे।

कानपुर:- बहुत कम लोग ही जानते हैं कि कानपुर देश में सबसे ज्यादा काला नमक बनाने वाला शहर है। पूरे देश में काला नमक का 1.6 लाख टन सालाना उत्पादन है, जिसमें 60 फीसद उत्पादन अकेले यहां का है। देश के विभिन्न राज्यों में तो इसकी बिक्री होती ही है, फ्रांस, जर्मनी, जापान, मारीशस, नेपाल तक निर्यात होता है। करीब 200 करोड़ रुपये का कारोबार कानपुर में है। अब केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय की कंपनी हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड ने इसका मानक तैयार कराने का बीड़ा उठाया है और इसके लिए पिछले सप्ताह पहली बार कंपनी के सभापति व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) डा. कमलेश कुमार कानपुर आए थे। कंपनी काला नमक बनाने के मानक तय होने के बाद कानपुर के उत्पादों को दुनिया भर में ब्रांड के रूप में पेश करना चाहती है।

देश में कानपुर समेत चार हिस्सों में काला नमक बनता है। उत्तर प्रदेश में मेरठ, मोदीनगर, हापुड़, शामली, राजस्थान के अलवर, कोयला सस्ता मिलने से झारखंड में धनबाद और उसके आसपास काला नमक बनाया जाता है। कानपुर को छोड़ बाकी जगह का उत्पादन कुल 40 फीसद ही है। इसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश का हिस्सा 20 फीसद है। राजस्थान और झारखंड दोनों की भागीदारी 20 फीसद है

यहां से आता कच्चा माल : राजस्थान में सांभर झील से क्यारियों में बनने वाले नमक को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मानक तय न होने से इसमें लोग अपने हिसाब से अलग-अलग चीजें मिलाते हैं। पाचन शक्ति बढ़ाने को हर्र, बहेड़ा, आंवला भी मिलाते हैं।

मानक न होने से संकट : काला नमक का मानक तय न होने से इस कारोबार के सामने संकट भी खड़ा हुआ। इस समय काला नमक बनाने की लागत 15 से 16 रुपये प्रतिकिलो आती है। इसे 18 से 20 रुपये किलो बेचा जाता है। जब काला नमक की बिक्री बढ?े लगी तो बहुत से लोगों ने इसमें सफेद नमक मिला कर बेचना शुरू कर दिया।

मानक के बाद निर्यात का अच्छा मूल्य मिलेगा : कानपुर से कई देशों में निर्यात तो होता है, लेकिन दूसरे देश के कारोबारी सीधे यहां के कारोबारियों से खरीद नहीं करते। वे महाराष्ट्र और गुजरात में मौजूद लोगों के जरिए खरीदारी करते हैं, जो नमक यहां से 18 से 20 रुपये में जाता है, जर्मनी को 190 रुपये और जापान को 160 से 170 रुपये में भेजा जाता है। मानक बनने के बाद प्रयास होगा कि विदेशी कंपनी सीधे कानपुर से खरीदारी करें। यहां 30 उद्यमी इसके निर्माण में लगे हैं।

बोले उद्यमी

  • सरकार काला नमक की बिक्री पर जीएसटी लगाए। अभी कारोबारियों को कोयला, त्रिफला, बारदाना, पाउच, पैङ्क्षकग पर जीएसटी देनी होती है, लेकिन काला नमक पर जीएसटी न होने से इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता।

                                                       - रंजन गुप्ता, महामंत्री, काला नमक उद्योग व्यापार मंडल।

  • मानकों को लेकर जल्द ही जिला अभिहीत अधिकारी को पत्र सौंपेंगे। इससेमिलावट को रोककर गुणवत्ता वाला उत्पादन हो सकेगा।

                                                - सुरेश माहेश्वरी, उपाध्यक्ष, काला नमक उद्योग व्यापार मंडल।

बोले जिम्मेदार

  • हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड के सीएमडी के आने पर उनसे बात हुई थी। उद्यमी जैसे ही मानक को लेकर अपना पत्र देंगे। उसे कंपनी को भेज दिया जाएगा ताकि जल्दी से जल्दी मानक बन जाए।
                                                                   - वीपी सिंह, जिला अभिहीत अधिकारी, कानपुर नगर
  • मानक बनाने के लिए पांच माह से काम कर रहे हैं। पिछले सप्ताह पहली बार कोई सीएमडी कानपुर गया था। उद्यमियों की तरफ से पत्र आते ही भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से क्लीनिकल टेस्ट कर मानक बनवाएंगे। इसमें तीन-चार माह का समय लगेगा। इसके बाद कानपुर को काला नमक के हब और ब्रांड के रूप में पूरी दुनिया के सामने विकसित किया जाएगा।
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