प्रयागराज की महापौर ने इस UPHC को लिया है गोद, फिर भी एक डाक्‍टर के भरोसे हैं 90 हजार लोग

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RGA न्यूज़

प्रयागराज का नगरीय पीएचसी दरियाबाद एक डाक्टर के भरोसे है। यहां कोरोना बचाव का इंतजाम भी नहीं है।

दरियाबाद प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में गिना-चुना चिकित्सा स्टाफ है। समय पर मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती। घर-घर सर्वेक्षण के नाम पर फील्ड कर्मचारी गायब हैं। कोरोना और स्वास्थ्य समस्या की अन्य बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए अस्पताल की तैयारी अभी कार्ययोजना में शामिल ही नहीं है।

प्रयागराज, यह है प्रयागराज शहर में नगरीय पीएचसी दरियाबाद। घनी आबादी के बीच किराए के भवन में संचालित नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत दयनीय है। प्रशासनिक अफसरों और स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों की इस ओर अनदेखी है।

दरियाबाद प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में गिना-चुना चिकित्सा स्टाफ है। समय पर मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती। घर-घर सर्वेक्षण के नाम पर फील्ड कर्मचारी गायब हैं। कोरोना और स्वास्थ्य समस्या की अन्य बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए इस अस्पताल की तैयारी अभी कार्ययोजना में शामिल ही नहीं हो सकी है।

पीएचसी दरियाबाद में महिला डाक्टर की नियुक्ति नहीं

नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) दरियाबाद में स्वास्थ्य सुविधाएं केवल चिकित्साधिकारी डा. शकील अहमद के भरोसे है। यहां ले देकर दो चिकित्सकों के पद हैं उनमें भी महिला डाक्टर हैं ही नहीं। अस्पताल में 10 से चार बजे तक संचालित ओपीडी में कोई महिला मरीज आ जाए, उसे त्वरित इलाज और दवा की जरूरत हो तो स्टाफ नर्स को डाक्टर की भूमिका निभानी पड़ती है। लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति के बावजूद उसे कोविड जांच केंद्र नैनी भेज दिया गया। अस्पताल में अब बीमारियों का पता लगाने के लिए जांच जैसे तैसे हो पा रही है।

मिले 17 शिक्षक लेकिन उनमें 10 नहीं आते

अस्पताल द्वारा घर-घर सर्वेक्षण कराया जा रहा है ताकि लोगों की बीमारियों का पता लग सके। किसी को कोरोना हो गया है या अन्य बीमारी है तो उसे फौरन इलाज मिल सके। इसके लिए आशा, एएनएम और आंगनवाड़ी को जिम्मेदारी मिली है। इस कार्य में सरकारी शिक्षक भी लगा दिए गए हैं। इसके लिए यूपीएचसी दरियाबाद को 17 शिक्षक मिले थे इसमें सात ही काम पा आ रहे हैं।

एक डाक्टर के भरोसे 90 हजार की आबादी

दरियाबाद के सरकारी अस्पताल का दायरा काफी बड़ा है। दरियाबाद के अलावा अतरसुइया, कक्कड़ नगर, अली नगर, चाचर नाला, जोगीघाट और बलुआघाट आदि बड़े इलाके इसमें शामिल हैं। इन सब मोहल्लों की आबादी करीब 90 हजार है। केवल प्रभारी चिकित्साधिकारी को अकेले चिकित्सक की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। फार्मासिस्ट भी एक ही है और एएनएम के स्वीकृत पांच पदों में तीन की नियुक्ति है। इनमें भी दो एएनएम की ड्यूटी टीकाकरण केंद्रों में लगी है।

महापौर ने लिया है गोद

इस अस्पताल को महापौर अभिलाषा गुप्ता ने गोद लिया है। इस वजह से उम्मीद लगाई जा रही है कि शायद कुछ भला हो सके। व्यवस्थाएं सुधर सकें। हालांक‍ि अस्पताल के गोद लिए जाने की लिखापढ़ी के बाद कोई कार्य धरातल पर नहीं उतर सका।

अस्पताल ने नहीं देखा सीएमओ का चेहरा

नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य दरियाबाद की सूरत देखने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी का अब तक भ्रमण ही नहीं हो सका। उनके अधीनस्थ अधिकारी यदा कदा पहुंचते हैं लेकिन, व्यवस्थाएं जस की तस हैं। अस्पताल में न वार्ड ब्वाय हैं न वार्ड आया।

एमओआइसी बोले- उच्चाधिकारियों को करनी है भरपाई

एमओआइसी डाक्‍टर शकील अहमद कहते हैं कि अस्पताल में जितनी सुविधा और संसाधन हैं, उससे काम चलाया जा रहा है। जरूरत तो और संसाधनों व डाक्टरों की है लेकिन यह भरपाई उच्चाधिकारियों को करनी है। प्रत्येक दिन 50 के करीब मरीज आते हैं। जो शिक्षक नहीं आ रहे हैं उनके बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारी को सूचना दी गई है।

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