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RGA न्यूज़
ग्रुप हाउसिंग में वाटर हार्वेस्टिंग लगवाने के प्रति प्रयागराज में लापरवाही बरती जा रही है।
प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) द्वारा नक्शा पास करते समय ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए निर्माणकर्ताओं से पांच लाख रुपये की एफडी जमा कराई जाती है। निर्माण पूरा होने पर भूगर्भ जल विभाग द्वारा सत्यापन करके अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाता है।
प्रयागराज, भूजल संरक्षण के प्रति शासन भले गंभीर हो लेकिन प्रयागराज में अफसरों और लोगों में खास रुचि व सक्रियता नहीं दिखती है। करीब 17 लाख की आबादी वाले इस शहर में सैकड़ों ग्रुप हाउसिंग (बहुमंजिला आवास) बने हैं। हालांकि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था सिर्फ 40 बहुमंजिला आवासों में ही है। जबकि करीब एक दशक में बनने वाले ग्रुप हाउसिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था अनिवार्य रूप से है लागू
शासन ने 300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में होने वाले आवासीय, गैर आवासीय अथवा व्यावसायिक निर्माणों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था को अनिवार्य रूप से लागू किया है। यह व्यवस्था बिल्डिंग बाईलाज में संशोधन करके वर्ष 2008 में लागू की गई। माना जाता है कि शहरी क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए इससे बेहतर व्यवस्था नहीं है, क्योंकि जल संरक्षण के अहम स्रोत तालाब, पोखरे, कुएं आदि लगभग समाप्त हो गए हैं। विभाग स्तर पर इस व्यवस्था के शत-प्रतिशत अनुपालन के दावे किए जाते हैं मगर, सभी लोग शायद ही इसका अनुपालन करते हैं।
पांच लाख की एफडी जमा कराई जाती है
प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) द्वारा नक्शा पास करते समय ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए निर्माणकर्ताओं से पांच लाख रुपये की एफडी जमा कराई जाती है। निर्माण पूरा होने पर भूगर्भ जल विभाग द्वारा सत्यापन करके अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाता है। तब प्राधिकरण द्वारा पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
बहुमंजिला आवासों का निर्माण
बहुमंजिला आवासों का निर्माण हर क्षेत्र में तेजी से हो रहा है। शहर के सिविल लाइंस, अशोक नगर, राजापुर, कालिंदीपुरम, झलवा, करेली, बेली, ममफोर्डगंज, शिवकुटी, गोविंदपुर, अल्लापुर, लूकरगंज, धूमनगंज, मीरापुर आदि इलाकों के अलावा नैनी, झूंसी, फाफामऊ, अंदावा और गौहनिया तक ग्रुप हाउसिंग का तेजी से निर्माण हो रहा है। पारस ग्रुप के निदेशक अनुपम जैन बताते हैं कि पी स्क्वायर, पारस कुंज, पदम इंक्लेव, पारस ग्रींस में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था है। इसके लिए गहरा और बड़ा गड्ढा खोदवाकर अपार्टमेंट की छत और खुले स्थलों के बरसाती पानी को उसमें इकट्ठा करने के लिए पाइप लाइन डाली जाती है। ताकि रेन वॉटर बर्बाद न होने पाए और उससे भूजल स्तर मेनटेन होता रहे।
संबंधित विभाग के अधिकारी तो यह कहते हैं
इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के सचिव डीएन प्रसाद कहते हैं कि बिल्डिंग बाईलाज में 300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के मकानों में रेट वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगना अनिवार्य किया गया है। नक्शा पास करते समय इसके लिए पांच लाख रुपये की एफडी जमा कराई जाती है। इस सिस्टम को लगाकर रिपोर्ट देने के बाद ही एफडी वापस की जाती है।