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RGA न्यूज़
निशातगंज क्षेत्र में पेपर मिल कालोनी के पास गोमती रिवर फ्रंट से नदी में गिरी गाड़ी।
चार खुद तैरकर निकले और तीन को बचाया एक की गहरे पानी में डूबने से मौत। ढाल से उतरते समय रफ्तार तेज होने के कारण गाड़ी से नियंत्रण खो गया और वह गोमती में जा गिरी। हादसे में गाड़ी का अगला शीशा टूट गया।
लखनऊ, सोमवार देर रात बोलेरो से घूमने के लिए निकले आठ दोस्त निशातगंज क्षेत्र में पेपर मिल कालोनी के पास गोमती रिवर फ्रंट पर गाड़ी चला रहे थे। ढाल से उतरते समय रफ्तार तेज होने के कारण गाड़ी से नियंत्रण खो गया और वह गोमती में जा गिरी। हादसे में गाड़ी का अगला शीशा टूट गया। चार दोस्त किसी तरह गेट खोलकर बाहर निकले। वह तैरना जानते थे और बाहर निकल आए। इसके बाद तीन और को बचा लिया। जबिक एक गहरे पानी में जाने के कारण डूब गया। सूचना पर कुछ ही देर में महानगर पुलिस और एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) के जवानों ने करीब तीन घंटे के रेस्कयू में डूबे निखिल गुप्ता (17) का शव गोमती से बरामद कर लिया। दोस्तों ने बताया कि निखिल पारा क्षेत्र के बुद्धेश्वर का रहने वाला है। इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप कुमार सिंह ने उसके घरवालों को सूचना दी। कुछ ही देर में परिवारीजन आ गए और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
क्रेन से निकलवाई गई बोलेरो : सूचना पर एडीसीपी उत्तरी प्राची सिंह और इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप कुमार पुलिस बल के साथ पहुंचे। पुलिस टीम ने क्रेन मंगवाई। क्रेन और एसडीआरएफ के जवानों की मदद से कांटे में बोलेरो फंसाकर निकाली गई। नदी में गिरने के कारण गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई थी।
एसडीआरएफ के प्रशिक्षित गोताखोरों ने चार घंटे किया रेस्क्यू : एसडीआरएफ को रात करीब 2ः10 बजे सूचना दी गई। कमांडेंट आइपीएस डा. सतीश कुमार के निर्देशन में इंस्पेक्टर चंद्रेश्वर की अगुवाई में आनन फानन 18 लोगों की टीम भेजी गई। जिसमें विशेष गोताखोर और रेस्कयू एक्सपर्ट जवान थे। इंस्पेक्टर चंद्रेश्वर और उनकी टीम पहुंची और रास्ते में ही डीप डाइविंग सूट और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हो गई। गोमती रिवर फ्रंट पर पहुंचते ही एक-एक कर जवान नदी में कूदे। कम्यूनिकेशन सिस्टम लिए और बीए सेट (ब्रीदिंग आपरेटस सेट) के साथ आक्सजीन सिलिंडर बांधे जवानों ने अंडर वाटर टार्च जलाकर सर्च आपरेशन शुरू किया। कड़ी मशक्कत के बाद गोताखोरों ने बोलेरो को खोज निकाला। इसके बाद क्रेन की मदद से बोलेरो को बांधकर बाहर निकला गया। इसमें करीब छह बज गया। वहीं, चार गोताखोर निखिल को खोजने में लगे थे। करीब साढ़े छह बजे गोताखोरों ने निखिल को खोज निकाला। तबतक दुर्भाग्यवश निखिल की सांसे थम चुकी थीं।