बैंक मैनेजर और ट्रेजरी अफसर बन साइबर शातिर करते थे ठगी,19 दिन में करोड़ों रुपये ठगा, प्रयागराज पुलिस ने दबोचा

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RGA न्यूज़

शातिर कभी बैंक मैनेजर तो कभी ट्रेजरी अफसर बनकर सीधे-सादे लोगों को फोन करते थे।

थानाध्यक्ष करेली बृजेश सिंह व इंस्पेक्टर खुल्दाबाद वीरेंद्र सिंह यादव कहना है कि शातिरों ने नागालैंड से आठ लाख देवरिया से चार लाख प्रतापगढ़ से दो व इटावा के व्यक्ति से 16 लाख की ठगी की। 16 में से 10 लाख रुपये संबंधित के बैंक खाते में वापस हो गए।

प्रयागराज, प्रतापगढ़ से पकड़े गए साइबर शातिर धीरज पांडेय और राहुल पांडेय ने पिछले 19 दिन में करोड़ों की आनलाइन ठगी की थी। इसके लिए वह कई तरीके अपनाते थे। कभी बैंक मैनेजर तो कभी ट्रेजरी अफसर बनकर सीधे-सादे लोगों को फोन करते थे। फिर उनसे खाता व दूसरी जानकारी लेकर पैसा ट्रांसफर कर लेते थे। अब पुलिस आनलाइन पैसा ट्रांसफर करने वाली कंपनियों के जरिए इनके द्वारा धोखाधड़ी करके निकाली गई रकम के बारे में पता लगा रही है। मंगलवार शाम दोनों को जेल भेज दिया गया, जबकि जामताड़ा के कई युवकों को मुकदमे में वांछित किया गया है।

ऐसे शातिर उड़ाते थे रकम

पुलिस का कहना है कि दोनों अभियुक्त पेनियर बाय कंपनी के अलावा गो पेमेंट, स्पाइस मनी, एपीएस सीएमसी, जयश्री, गूगल और पेटीएम का दुरुपयोग करके लोगों को बल्क मैसेज की पूॢत के लिए लिंक भेजते थे। इसके बाद खातों से फर्जी आइडी व मोबाइल नंबरों से खोले गए खाते में पैसा ट्रांसफर करते थे। फिर एटीएम से पैसा निकालते और आनलाइन खरीदारी करते थे। झारखंड के जामताड़ा निवासी धर्मेद्र उर्फ बाबू, उसके भाई योगेंद्र और वाराणसी के नारायण सिंह की ओर से उपलब्ध कराए गए सिनीयर सिटीजन के बैंक डाटाबेस को टारगेट करके ठगी करते थे। थानाध्यक्ष करेली बृजेश सिंह व इंस्पेक्टर खुल्दाबाद वीरेंद्र सिंह यादव कहना है कि शातिरों ने नागालैंड से आठ लाख, देवरिया से चार लाख, प्रतापगढ़ से दो व इटावा के व्यक्ति से 16 लाख की ठगी की। 16 में से 10 लाख रुपये संबंधित के बैंक खाते में वापस करवा दिए गए हैं। अभियुक्तों के कब्जे से 83 हजार रुपये, लैपटाप व दूसरे इलेक्ट्रानिक उपकरण बरामद हुए हैं।

धीरज के लैपटाप में एक लाख बैंक खाते की जानकारी

मुख्य आरोपित धीरज के लैपटाप से पुलिस को एक लाख बैंक खाते की जानकारी मिली है। खातों का डाटाबेस आंध्र प्रदेश, कोलकाता समेत अन्य राज्यों से संबंधित हैं। इसके अलावा मोबाइल व लैपटाप में सैकड़ों लोगों के आइडी, पैन कार्ड, आधार कार्ड व फोटो भी सेव है। इन्हीं कागजात के आधार पर धीरज बैंकों में खाता खुलवाता था, लेकिन उसमें मोबाइल नंबर जामताड़ा व पश्चिम बंगाल में बैठे साइबर क्राइम से जुड़े लोगों का देता था। इससे उन्हें पैसा ट्रांसफर करने में आसानी होती थी। इनके खिलाफ दर्ज मुकदमे में धोखाधड़ी, कूटरचना की धारा बढ़ाई गई है।

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