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RGA न्यूज़
तीन भाइयों के पहले पिता फिर मां का हो चुका है देहांत। कागारौल के नगला कारे में रहने वाली उर्मिला देवी की कोरोना से हो गई थी मौत। पूर्व फौजी पिता को तीन साल पहले गंवा चुके थे बच्चे सता रही भविष्य की चिंता। सात मई को मां उर्मिला देवी की मौत हुई तो बेटा जम्मू-कश्मीर में
आगरा, तीन साल पहले पिता को खोने के बाद भाइयों के लिए उनकी मां ही सब कुछ थीं। तीनों भाइयों की दुनिया और उनकी खुशियां मां के इर्द गिर्द ही सिमटी हुई थीं। मगर, तकदीर को अभी उनका एक और इम्तिहान लेना था। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप ने उनसे मां को भी छीन लिया। ऐसे में मौसी सहारा उनका सहारा बनीं। वह दोनों भाइयों का भविष्य संवारने की जद्दोजहद से जूझ रही हैं।
कागारौल के गांव नगला कारे के रहने वाले पूर्व फौजी गिर्राज सिंह की तीन साल पहले बीमारी से मौत हो गई। उनकी उम्र करीब 58 साल थी। गिर्राज पत्नी और बच्चों को लेकर मथुरा में मकान बनाकर रहने लगे थे। मगर, पति की मौत के बाद उर्मिला देवी तीनों बेटों को लेकर अपने गांव लौट आईं। यहां अपनी बहन के पास आकर रहने लगीं थी। बड़ा बेटा पिछले साल सेना में भर्ती हो गया। वह ट्रेनिंग पर चला गया।
उर्मिला देवी को अच्छे दिनों ही आहट महसूस होने लगी थी। मगर, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। स्वजन के अनुसार तीन मई को उर्मिला देवी में कोरोना के लक्षण दिखाई दिए। उन्हें बुखार व सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया। आक्सीजन का स्तर गिरने से सात मई को उर्मिला देवी ने दम तोड़ दिया। इसके बाद उर्मिला देवी के दोनों बच्चों की जिम्मेदारी चंद्रवती देवी उठा रही हैं।
उनके पास जमीन के नाम पर सिर्फ डेढ़ बीघा खेत है। इसके बावजूद वह मां की तरह अपने और बहन के परिवार की जिम्मेदारी उठा रही हैं। चंद्रवती देवी ने बताया कि वह चाहती हैं कि दोनों बच्चों की पढ़ाई सरकार निश्शुल्क कर दे। इससे कि वह उच्च शिक्षित होकर अपना भविष्य संवार सकें।
चिता को दाग भी न दे सका बेटा
स्वजन ने बताया कि सात मई को मां उर्मिला देवी की मौत हुई तो बेटा जम्मू-कश्मीर में था। वह मां की चिता को दाग न दे सका। अंतिम संस्कार के अगले दिन आगरा पहुंच सका।