बरेली में रबर फैक्ट्री की जमीन पर इंडस्ट्रियल हब और एम्स के उतरने के इंतजार, जानिए क्या हो रही कवायद

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 बरेली में रबर फैक्ट्री की जमीन पर इंडस्ट्रियल हब और एम्स के उतरने के इंतजार

 दिल्ली-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर फतेहगंज पश्चिमी (बरेली) में खाली जमीन पर इंडस्ट्रियल हब और सुपरस्पेशलिस्ट अस्पताल एम्स के प्रस्ताव तैयार हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने इंस्ट्रियल हब और आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने एम्स स्तर के अस्पताल की केंद्र सरकार में पैरवी की।

बरेली, दिल्ली-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर फतेहगंज पश्चिमी (बरेली) में 1380.23 एकड़ खाली जमीन पर इंडस्ट्रियल हब और सुपरस्पेशलिस्ट अस्पताल एम्स तैयार करने के प्रस्ताव तैयार हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने इंस्ट्रियल हब और आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने एम्स स्तर के अस्पताल की केंद्र सरकार में पैरवी की। बाम्बे हाईकोर्ट में स्वामित्व और 12 बैंक व कर्मचारियों के तकरीबन 600 करोड़ के लंबित भुगतान का वाद लंबित होने के चलते फिलहाल प्रस्ताव अधर में लटके हुए हैं। अब मामले में बाम्बे हाईकोर्ट में इसी हफ्ते सुनवाई की तारीख लगने की उम्मीद जताई जा रही है।

वर्ष 2018 में बरेली के दौरे पर आए हथकरघा विभाग के निदेशक रमारमण ने टेक्सटाइल पार्क और रबर फैक्ट्री की जमीन मिलाकर इंडस्ट्रियल हब बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। शासन ने विशेष सचिव (अवस्थापना व औद्योगिक विकास) डा. मुथु कुमार सामी बी. को नोडल अफसर नामित किया। राज्य सरकार ने वर्ष 1999 से बंद फैक्ट्री की भूमि पर कब्जा यानी पुनर्प्रवेश व स्वामित्व प्रक्रिया शुरू कराई। औद्योगिक विकास अनुभाग-3 से जारी आदेश में कब्जा लेने की प्रक्रिया समयबद्ध रुप से सुनिश्चित करने को कहा गया। इस कवायद से लगा था कि जल्द ही शासन रबर फैक्ट्री पर कब्जा ले लेगा। रबर फैक्ट्री मामले में यूपीएसआइडीसी को नोडल एजेंसी नामित किया था।

दूसरी तरफ बाम्बे हाईकोर्ट में अल-केमिस्ट असेस्ट रिकंसट्रक्शन कंपनी ने वाद दायर कर चुकी थी। प्रदेश सरकार इस केस में पक्षकार तक नहीं बन सकी। बाम्बे हाईकोर्ट ने 19 अक्टूबर 2020 को वादी अल-केमिस्ट असेस्ट रिकंसट्रक्शन कंपनी को आठ सप्ताह में रबर फैक्ट्री जमीन पर कब्जा देने का आदेश दे दिए। हाईकोर्ट ने रिसीवर एनबी ठक्कर से इस आदेश का पालन कराने को कहा। वादी अल केमिस्ट ने फैक्ट्री की 1380.23 एकड़ भूमि, प्लांट, भवन, मशीनें आदि पर दावा किया था। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक अल-केमिस्ट असेस्ट रिकंसट्रक्शन कंपनी को 14 दिसंबर 2020 तक रबर फैक्ट्री की सारी संपत्ति सौंपा जाना था। इस आदेश का अनुपालन भी शुरू हुआ, लेकिन तीन हजार वर्ग मीटर जमीन हस्तांतरित होने के बाद जमीन का बड़ा हिस्सा अवैध कब्जों में होने से प्रक्रिया को रुकवा दिया गया था।

शासन से नियुक्त शासकीय अधिवक्ता सुनवाई की तारीख के लिए प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि इसी हफ्ते हमें तारीख मिल सकती है। प्रकरण का निस्तारण तेजी से कराया जा रहा है। - एनबी ठक्कर, बाम्बे हाइकोर्ट से नियुक्त रिसीवर

रबर फैक्ट्री की खाली जमीन पर केंद्र सरकार में हमनें एम्स स्तर का अस्पताल देने के लिए स्वास्थ्य मंत्री से भेंट की थी। इसके बाद एक टीम को सर्वे के लिए भेजा गया। अभी अंतिम रिपोर्ट आना बाकी है।- धर्मेंद्र कश्यप, आंवला सांसद

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