कौशांबी की सुनीता तो दिवंगत हो गईं, अब उनकी आंखों से दो नेत्रहीन देख सकेंगे दुनिया

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RGA न्यूज़

ये हैं कौशांबी जनपद की सुनीता, जिन्‍होंने दो नेत्रहीनों की आंखों की रोशनी लौटा दी।

सुनीता तो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी आंखें दो नेत्रहीनों को रोशनी दे गए। मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय में नेत्र सर्जन और मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह ने दो जरूरतमंद लोगों की आंख में कार्निया का सफल ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) किया।

प्रयागराज, अगर जीते जी कोई अपनी आंखों की रोशनी देने के लिए आए तो बेहतर समाजसेवा का दर्जा दिया जाता है। उस शख्‍स के निधन को दिवंगत कहने में गुरेज नहीं होना चाहिए। क्‍योंकि उस व्‍यक्ति की आंखों से नेत्रहीन दुनिया देख सकते हैं। ऐसा ही कुछ यूपी के कौशांबी जनपद की रहने वाली 45 वर्षीय सुनीता सिंह ने भी किया।

सुनीता तो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी आंखें आज भी जीवित अवस्था में हैं। ये आंखें प्रयागराज के दो लोगों को दुनिया दिखाने को तैयार हैं। मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय में नेत्र सर्जन और मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह ने दो जरूरतमंद लोगों की आंख में कार्निया का सफल ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) किया।

सुनीता ने जीवित रहते भरा था नेत्रदान का सहमति पत्र

कौशांबी के पचामा गांव निवासी सुनीता सिंह ने जीवित रहते ही नेत्रदान का सहमति पत्र भरा था। वे अपने पति मानसिंह के साथ लंबे समय से सतना के बिरला कालोनी में रह रहीं थीं। मानसिंह सतना में ही नौकरी करते हैं। मानसिंह के भतीजे अजीत सिंह चांसलर ने बताया कि उनकी चाची सुनीता सिंह को ब्रेन हेमरेज हो गया था। उन्हें धोबीघाट के समीप स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां 24 जून को उनका निधन हो गया। पति ने नेत्र बैंक मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय को सूचित किया।

मनोहर दास नेत्र चिकित्‍सालय में कार्निया ट्रांसप्‍लांट हुआ

डा. एसपी सिंह के निर्देश पर डा. अनिरुद्ध शर्मा और डा. श्रीष्ठी नागराजन ने अस्पताल पहुंचकर मृत सुनीता की आंख से कार्निया प्राप्त किया। फौरन ही उसे लेकर मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय के आइ बैंक पहुंचे। दो जरूरतमंद लोगों को अस्पताल बुलाकर उनकी आंख में कार्निया ट्रांसप्लांट कर दिया गया।

इन दो लोगों को मिली रोशनी

डा. एसपी सिंह ने बताया कि इनमें एक व्यक्ति की आंख में होली पर रंग पड़ जाने से बड़ी दिक्कत आ गई थी। आंख में सफेदी आ जाने से रोशनी चली गई थी। एक अन्य व्यक्ति की आंख में काफी पहले से लालिमा थी। दर्द भी होता था। धीरे-धीरे घाव हो गया फिर सफेदी आ जाने से रोशनी चली गई थी। यह दोनों ही नेत्रहीन अब संसार देख सकेंगे।

नेत्रदान के लिए इस नंबर पर आप भी दे सकते हैं सहमति पत्र

मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय के आई बैंक में अपना रजिस्ट्रेशन कोई भी करा कर नेत्रदान के लिए सहमति पत्र भर सकता है। मृत्योपरांत नेत्रदान कर नेत्रहीनों को पुन: रोशनी देने के लिए लोगों से जागरूक होने की अपेक्षा मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय ने की है। डा. एसपी सिंह ने कहा है कि यह आई बैंक 24 घंटे सेवा के लिए तत्पर है और इसका टेलीफोन नंबर 09451762902 तथा 09807477789 हमेशा सक्रिय रहता है।

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