ब्लड प्रेशर को ज्यादा देर नियंत्रित रखेगा एमजेपीआरयू के प्रोफेसर का गेस्ट्रोरेटेंटिव कैप्सूल, जानिए खासियत

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ब्लड प्रेशर को ज्यादा देर नियंत्रित रखेगा एमजेपीआरयू के प्रोफेसर का गेस्ट्रोरेटेंटिव कैप्सूल, जानिए खासियत

ब्लड प्रेशर घटने और बढ़ने की समस्या अब काफी बढ़ रही है। ब्लड प्रेशर के ज्यादातर मरीज इसे सामान्य रखने के लिए प्रोप्रनोलोल सॉल्ट वाली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। यह दवा लेने के कुछ देर तक अपना असर दिखाती है

बरेली, ब्लड प्रेशर घटने और बढ़ने की समस्या अब काफी बढ़ रही है। ब्लड प्रेशर के ज्यादातर मरीज इसे सामान्य रखने के लिए प्रोप्रनोलोल सॉल्ट वाली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। यह दवा लेने के कुछ देर तक अपना असर दिखाती है और फिर यूरिन के जरिए से बॉडी से निकल जाती है। इसके बाद ब्लड प्रेशर का घटना या बढ़ना फिर शुरू हो जाता है। ऐसे में दवा का दोबारा सेवन करना पड़ता है, इससे साइड इफेक्ट भी हो जाते हैं। इसे देखते हुए एमजेपी रुहेलखंड यूनीवर्सिटी के फार्मेसी विभाग के प्रोफेसर डा. अमित वर्मा ने प्रोप्रोनोलोल दवा के गेस्ट्रोरेटेंटिव कैप्सूल बनाए हैं। यह कैप्सूल शरीर में जाने के बाद प्रोप्रनोलोन सॉल्ट को धीरे धीरे रिलीज करेगा। इससे दवा का असर ज्यादा देर तक रहेगा और ब्लड प्रेशर ज्यादा देर तक नियंत्रित रहेगा।

कराया गम के रासायनिक प्रक्रिया से तैयार हुआ कैप्सूल

डा. अमित वर्मा ने बताया कि कराया गम सबसे कम घुलनशील पदार्थों में से एक है। कराया गम का कार्बोक्सिमिथाइलेशन किया गया। यह एक रासायनिक प्रक्रिया होती है। इसकी वजह से कराया गम की घुलनशीलता बढ़ जाती है। इसके बाद इसे प्रोप्रनोलोल के साथ मिलाकर कैप्शूल में शामिल किया गया। इसे कार्बोक्सिमिथाइलेटेड कराया गम (सीएमकेजी) भी कहते हैं। कार्बोक्सिमिथाइलेशन का उद्देश्य कराया गम की क्षमता का मूल्याकंन ड्रग रिलीज मॉड्यूलेटर (अम्लीय विघटन माध्यम में) के रूप में करना है।

कैप्सूल के अंदर यह पदार्थ शामिल

- कार्बोक्सीमिथाइलेटेड कराया गम (कराया गम के कार्बोक्सीमिथाइलेसन की रासायनिक प्रक्रिया से प्राप्त हुआ)

- एचपीएमसी के15एम (यह पाॅलीमर होता है जो दवा को धीरे धीरे रिलीज कराने में मदद करता है)

- प्रोप्रनोलोल (यह ब्लड प्रेशर को कम करने की दवा है)

- जेलू केयर (कैप्सूल के ऊपर जेलू केयर की कोटिंग की गई है, इसकी मदद से कैप्सूल पेट में तैरता)

कैप्सूल की जांच प्रकिया

एफटीआईआर एक्सपेक्ट्रोस्कोपी की मदद से कैप्सूल में मौजूद दवा, कराया गम और एचपीएमसी आदि का मूल्यांकन किया गया है। इसके बाद इन कैप्सूलों को 37 डिग्री सेल्सियस 0.1 एचसीएल हाइड्रोक्लोरिक एसिड में इनविट्रो टेस्टिंग की गई। इन सभी जांचों के परिणाम अच्छे रहे और कैप्सूल को उपयोगी माना गया।

शासकीय जर्नल में प्रकाशित

एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के डा. अमित वर्मा ने प्रोप्रनोलोल गेस्ट्रोरेटेंटिव कैप्सूल पर शोध किया। इसके बाद उन्होंने पेटेंट आवेदन  में दिया था। आवेदन को भारतीय पेटेंट कार्यालय ने स्वीकार करते हुए भारत सरकार के पेटेंट शासकीय जर्नल में प्रकाशित किया है।

ब्लड प्रेशर की दवा को लेकर हुए इस नए पेटेंट की जानकारी नहीं है। लेकिन ब्लड प्रेशर की कई दवाएं आती हैं, जिनमें कुछ कैप्सूल भी हैं। अगर गेस्ट्रोरेंटिटिव कैप्सूल देर तक असर करने वाला है तो यह मरीजों के लिए अच्छा साबित होगा।

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