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अधिक पैसा खर्च किए जाने से कार्यों की जांच शुरू हो गई है।
जांच टीम यह देखेगी कि उक्त कार्य पिछले साल भी तो नहीं कराया गया था। इसके अलावा अन्य कई बिंदुओं पर भी जांच होगी। जांच को टीम आने की भनक लगते ही अफसरों कर्मियों व प्रधानों में खलबली मच गई है
प्रयागराज, यूपी के प्रतापगढ़ जिले में मनरेगा मद में केवल पांच ग्राम पंचायतों में ही सामग्री मद व लेबर व्यय में करीब पौने दो करोड़़ रुपये खर्च कर दिया गया। अधिक पैसा खर्च किए जाने से कार्यों की जांच शुरू हो गई है। ग्राम पंचायतों में तैनात सचिव समेत अफसर जांच के दायरे में आ गए हैं। जांच टीम यह देखेगी कि उक्त कार्य पिछले साल भी तो नहीं कराया गया था। इसके अलावा अन्य कई बिंदुओं पर भी जांच होगी। जांच को टीम आने की भनक लगते ही अफसरों, कर्मियों व प्रधानों में खलबली मच गई है। कार्रवाई से बचने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं।
ग्राम पंचायतों में मनरेगा मद से चकरोड, तालाब की खोदाई, इंटरलॉकिंग आदि तरह के विकास कार्य कराए जाते हैं। विकास कार्य कराने के नाम पर बड़े पैमाने पर पैसे का गबन भी किया जाता है। वहीं जिले के कालाकांकर ब्लाक के अनंतामऊ, लाटतारा, रानीमऊ, पनिगो व ककरहिया गांव में लेबर बजट में ही करीब एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है। इसके अलावा इन ग्राम पंचायतों में करीब 16 लाख रुपये सामग्री मद में खर्च किया गया है। विभाग से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो इन पांचों ग्राम पंचायतों में दोनों बजट में करीब डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए हैं। मनरेगा से सबसे अधिक पैसा व्यय करने पर इन गांवों में जांच बैठ गई है। सीडीओ प्रभास कुमार ने बताया कि मनरेगा शासन की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें गड़बड़झाला करने वाले अफसरों व कर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा
मनरेगा मजदूरों से लेते हैं पैसा
ग्राम पंचायतों में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में भी खेल हो रहा है। प्रधान अपने चहेते लोगों को जाब कार्ड बनवा दिए हैं। काम जेसीबी आदि से कराते हैं। जबकि काम मजदूरों से कराने का ब्योरा ब्लाक में भेजकर पैसा मजदूरों के खाते में मंगाया जाता है। इसके बाद उस पैसे को मजदूरों से निकलवाकर ले लेते हैं। इसके बाद मजदूरों को खुश करने के लिए कुछ पैसा उनको दे दिया जाता है। इस तरह का खेल अधिकांश ग्राम पंचायतों में चल रहा है।