RGA न्यूज़
बसपा पर टिक गई है विरोधियों की निगाह।
कानपुर में जिला पंचायत सीट पर बसपा के सदस्य भी जीतकर आए हैं लेकिन पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी नहीं घोषित किया है। अब ऐसे में बसपा के जीते सदस्यों पर डोरे डाले जा रहे हैं वहीं पार्टी में भी खेमाबंदी शुरू हो गई है।
कानपुर, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव मैदान में अपना प्रत्याशी ना उतार कर बहुजन समाज पार्टी ने अपने जिला पंचायत सदस्यों को दूसरे के निशाने पर छोड़ दिया है। इसके चलते भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों ही बसपा के जिला पंचायत सदस्यों पर डोरे डाल रहे हैं।
देखा जाए तो बसपा के जिला पंचायत सदस्य किंगमेकर की भूमिका में भी हैं क्योंकि दोनों ही दलों के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों को जीत के लिए इनकी जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी को तो सभी निर्दलीयों को अपने पक्ष में जोड़ने के बाद भी बसपा के जिला पंचायत सदस्यों की जरूरत है। हालांकि भितरघात भी दोनों ही दलों में चल रही है। जहां सपा भाजपा के नाराज जिला पंचायत सदस्यों को तो़ड़ने में जुट गई हैं वहीं भाजपा का दावा है कि उसने बसपा के अलावा सपा के भी चार सदस्यों को अपने पक्ष में कर लिया है।
32 सदस्यों वाली जिला पंचायत में सपा सबसे बड़े दल के रूप में है। उसके 11 जिला पंचायत सदस्य हैं। भाजपा नौ जिला पंचायत सदस्यों के साथ दूसरे, छह निर्दलीय तीसरे स्थान पर हैं। बसपा के पांच सदस्य और निषाद पार्टी के पास एक सदस्य है। भाजपा ने शनिवार को सभी निर्दलीय और निषाद पार्टी की जिला पंचायत सदस्य को जोड़कर सामने लाने का दावा किया लेकिन अब भी जीत दूर है।
नामांकन के दौरान सपा के सदस्य अपने प्रत्याशी के साथ नजर आए। सिर्फ बसपा के सदस्य कहीं नहीं थे। अब इन्हें अपनी तरफ लाने के लिए सारे प्रयास हो रहे हैं। हालांकि टिकट वितरण को लेकर भाजपा के अंदर जो असंतोष है उसकी वजह से भितरघात की आशंका भी है। इसीलिए भाजपा को अपने ही भितरघातियों को संभालना खासा मुश्किल हो रहा है। हालांकि सभी को कुछ अनुशासन का डर दिखाय गया है तो कुछ को प्यार से भी समझाया गया है।