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कानपुर में प्रदूषण सुधारने के लिए आगे आय आइआइटी।
कानुपर में प्रदूषण की समस्या सबसे ज्यादा है इसे कम करने के लिए आइआइटी के विशेषज्ञों ने सर्वे किया है। इसके साथ वायु सूचकांक को सुधारने के लिए योजना भी तैयार की है। शहर की सड़कों पर उड़ने वाली धूल की सर्वे रिपोर्ट तैयार की है।
कानपुर, आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ प्रशासन व नगर निगम के सहयोग से शहर की वायु गुणवत्ता सूचकांक को बेहतर करने में जुटे हुए हैं। यहां की प्रमुख समस्या हानिकारक गैसों का उत्सर्जन और अति सूक्ष्म कणों की अधिकता है। सबसे पहले सड़क किनारे से उड़ती धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं को रोकना है। इसके लिए शहर की सड़कों के किनारे घास लगवाने और इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछाई जाएगी। जाम न लगे, इसके लिए सड़कों की तकनीकी समस्या को दूर करने की तैयारी है।
कानपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक बिगड़ा हुआ है। पीएम 2.5, एनओटू, एसओटू की मात्रा मानक से कई गुना अधिक रहती है। पिछले कई वर्षों में कानपुर का नाम प्रदूषित शहरों की सूची में सबसे ऊपर रहा है। एनजीटी की सख्ती और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। आइआइटी कानपुर के साथ मिलकर काम शुरू हो गया है। नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि पहले चरण के लिए बजट जारी हो गया है। सड़क किनारे घास लगाई जाएगी। कई जगह किनारों को पक्का किया जाएगा। आइआइटी शहर की रिपोर्ट तैयार कर रहा है। ट्रैफिक सिस्टम अच्छी तरह से चले, जिससे वाहनों के इंजन से कम से कम धुआं निकले, इसके लिए भी प्लानिंग की जा रही है।
नगर निगम को देगा सर्वे रिपोर्ट
आइआइटी कानपुर ने शहर के प्रदूषण में सड़क पर उड़ती धूल को भी कारण माना है। इसके लिए शहर के उन हिस्सों का भी सर्वे किया गया है, जहां सड़कों पर सबसे ज्यादा धूल उड़ती है। ऐसी सड़कों की सर्वे रिपोर्ट आइआइटी जल्द ही नगर निगम को सौंपेगा। नगर निगम इस रिपोर्ट के आधार उन सड़कों को धूल मुक्त बनाने के लिए प्रयास शुरू करेगा। यह काम शहर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए मिली 75 करोड़ की पहली किस्त में 40.11 करोड़ रुपये से होगा। महापौर की अध्यक्षता में बनी कमेटी के समक्ष सर्वे रिपोर्ट रखी जाएगी।