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कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर जनपद में भी पीकू यानी पीडियाट्रिक आइसीयू तैयार किए जा रहे हैं।
कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर जनपद में भी पीकू यानी पीडियाट्रिक आइसीयू तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय में तैयार किए जा रहा पीडियाट्रिक आइसीयू (वार्ड) अपने आप में अनोखा होगा।
अलीगढ़, कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर जनपद में भी पीकू यानी पीडियाट्रिक आइसीयू तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन, पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय में तैयार किए जा रहा पीडियाट्रिक आइसीयू (वार्ड) अपने आप में अनोखा होगा। इसे देखने पर ऐसा लगेगा कि जैसे अस्पताल नहीं, कोई प्ले स्कूल होे। दरअसल, इसे बच्चों को लुभाने के लिए दीवारों पर कार्टून कैरेक्टर्स के साथ फूल-पत्ती, तितली आदि की पेंटिंग उकेरकर आकर्षक बनाया जा रहा है। भविष्य में प्ले स्टेशन एरिया भी बनाने की योजना है, जिसमें बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के खेल-खिलौने व अन्य सामग्री भी होगी।
48 वार्ड का पीडियाट्रिक आईसीयू हो रहा तैयार
दीनदयाल अस्पताल के सीएमएस डा. शिव कुमार उपाध्याय ने बताया कि बच्चों की सुविधा के मद्देनजर भूतल पर स्थित कांप्लेक्स में 48 वार्ड का पीडियाट्रिक आइसीयू तैयार किया जा रहा है। इसमें 24 बेड पर वेंटीलेटर व 24 पर वेंटीलेटर के बाद ठीक हुए बच्चों को रखा जाएगा। क्योंकि, उछल-कूद और खेलने की उम्र में बच्चों को आइसीयू में रखना चुनौती से कम नहीं। बच्चे परेशान न हों और उन्हें खेलने का मौका मिले, इसलिए वार्ड को विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है। इसके लिए वार्ड एक व दो के कांप्लेक्स को मध्य की दीवार तोड़कर एक कर दिया गया। बच्चों को घर या स्कूल जैसा माहौल मिले इसके लिए दीवारों, दरवाजों, खिड़कियों पर कार्टून कैरक्टर्स बनवाए जा रहे हैं। पेड़, फूल-पत्ती, तितली, पशु, पक्षी आदि की आकर्षक पेंटिंग बनवाई जा रही है।
खेलने का इंतजाम
सीएमएस के अनुसार डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में बच्चों के लिए खेल-खिलौने व अन्य रूचिकर सामग्री की उपलब्धता पर भी विचार किया गया है। वार्ड में प्ले स्टेशन एरिया रहेगा, जहां बच्चे अपने मनपसंद खिलौनों के साथ खेल सकेंगे।
माता-पिता के लिए
डा. उपाध्याय ने बताया कि स्टाफ को छोटे बच्चों को संभालने में दिक्कत हो सकती है। क्योंकि, उन्हें हर समय देखभाल की जरूरत होगी। लिहाजा, बेडों के मध्य इतना स्पेस दिया गया है, जहां माता या पिता लेट या बैठ सकें। रैन बसेरा या अन्य खाली बेड भी उनके लिए उपलब्ध कराए जा सकेंगे। दरअसल, यह कवायद बच्चों की रिकवरी के लिए अच्छा माहौल देने का एक प्रयास है।