किसान आंदोलन का समर्थन नहीं करता भारतीय किसान संघ, रामबीर बोले, आंदोलन पर चढ़ा राजनीतिक रंग

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RGA न्यूज़

यमुनानगर में पत्रकार वार्ता करते भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी।

यमुनानगर में भारतीय किसान संघ की पत्रकारवार्ता। प्रदेश मंत्री ने किसान आंदोलन को बताया राजनीतिक रंग में रंगा और हिंसात्मक। कहा एमएसपी के निर्धारण में किसानों की हुई अनदेखी। किसानों की राय लेना जरूरी। कृषि सुधार कानूनों में सुधार की गुंजाइश

यमुनानगर। कृषि कानूनों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन का भारतीय किसान संघ कतई नहीं समर्थन नहीं करता। आंदोलन राजनीतिक रंग में रंगा हुआ है और हिंसात्मक भी है। यह बात भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री रामबीर सिंह चौहान ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।

सोमवार को उन्होंने किसानों से जुड़े कई मुद्दों को लेकर पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह किसानों के हित में हैं। लेकिन इनमें संसोधन की गुंजाइश जरूर है। भाकिसं कभी भी हिंसात्मक आंदोलन का समर्थन नहीं करता। किसानों की आवाज बनकर समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत रहता है। उन्होंने कहा कि धान के एमएसपी के निर्धारण में किसानों की घोर अनदेखी हुई है। एसी रूम में बैठकर एमएसपी का निर्धारण किया जाता है। इससे पहले किसानों की राय लेना जरूरी है। इस पर पुनर्विचार जरूरी है।

तेल के दामों का सीधा असर किसानों पर

संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रतन सिंह देवधर ने कहा कि डीजल व पेट्रोल के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। इसका असर सबसे अधिक किसानों पर ही पड़ रहा है। खेतों की जुताई व सिंचाई के लिए डीजल की आवश्यकता पड़ती है। किसानों को जीएसटी व राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाला वैट और अन्य टैक्स में छूट मिलनी चाहिए। डीजल की खपत का सर्वे करवाकर किसानों को कार्ड जारी करवा देना चाहिए ताकि किसानों को सस्ती दरों पर डीजल मिल सके।

1 जुलाई को धरना देंगे, पीएम को भेजेंगे ज्ञापन

संघ के जिलाध्यक्ष पिंटू खानपुर ने कहा कि मोटे धान का भाव कम से कम 2500 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित होना चाहिए। इन तमाम मुद्दों को लेकर किसान एक जुलाई को जिला सचिवालय में धरना देंगे और डीसी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। इसके अलावा टोकन प्रणाली में पारदर्शिता लाई जानी चाहिये। प्रदेश उपाध्यक्ष प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आमदन दोगुनी करने की बात कह रही है, लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है। क्योंकि किसानों को उनकी फसल के वाजिब दाम नहीं मिल रहे हैं।

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