Corona Warrior : पटियाला के मनजीत ने पेश की मिसाल, कोविड काल में किया 180 लाशाें का संस्कार

Praveen Upadhayay's picture

RGAन्यूज़

मनजीत पिछले 21 साल से शिवशक्ति सेवा दल लंगर चेरिटेबल ट्रस्ट का शव वाहन चला रहे हैं। (जागरण)

मनजीत ने कोविड की अवधि के एक साल में 180 पाॅजिटिव शवों को अस्पताल से उठाकर श्मशानघाट तक पहुंचाया। न किसी से पैसे लिए और न ही वाहन का खर्च।मनजीत पिछले 21 साल से शिवशक्ति सेवा दल लंगर चेरिटेबल ट्रस्ट श्री काली देवी मंदिर का शव वाहन चला रहे हैं

। Corona Warrior : कोविड की अवधि के एक साल में 180 कोविड पाॅजिटिव शवों को अस्पताल से उठाकर श्मशानघाट तक पहुंचाया। न किसी से पैसे लिए और न ही वाहन का खर्च। इसी दौरान परिवार के 10 सदस्य कोरोना पाॅजिटिव हुए लेकिन फिर भी हौसला नहीं हारा और कोविड पाॅजिटिव शव उठाने की सेवा जारी रखी। यह जज्बा अपने भीतर संजोए हुए हैं मनजीत कुमार।

मनजीत पिछले 21 साल से शिवशक्ति सेवा दल लंगर चेरिटेबल ट्रस्ट श्री काली देवी मंदिर पटियाला का शव वाहन चला रहे हैं। मनजीत ने बताया कि कोरोना काल के दौरान जब घरवाले भी संक्रमित शव को हाथ लगाने से परहेज करते थे। ऐसे समय में वह सेवा से पीछे नहीं हटे और शवों को श्मशानघाट तक पहुंचाया। इस दौरान कई परेशानियां भी आईं। परिवार के 10 सदस्य जिसमें अपना परिवार, भाई का परिवार, माता व पिता शामिल हैं संक्रमित हो गए। लेकिन इसके बावजूद शवों को उठाने की सेवा को दरकिनार नहीं किया। हां, इस दौरान एहतियात जरूर बरती ताकि दोबारा परिवार का कोई सदस्य संक्रमित न हो जाए।

अंतिम संस्कार की वैन फ्री चलेगी

मनजीत ने बताया कि बीते एक साल से वह कोविड पाॅजिटिव लोगों की मौत के बाद अस्पताल से शवों को राजपुरा, नाभा, समाना, पातड़ां सहित अन्य इलाकों में पहुंचा रहे हैं। उनके ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टी पंचानंद गिरी जी ने साफ कहा है कि अंतिम संस्कार की वैन फ्री चलेगी। किसी भी परिवार से कोई खर्च अथवा वाहन के तेल का खर्च नहीं लिया जाएगा। वो अब तक 180 शवों को उठाकर अंतिम संस्कार के लिए श्मशानघाट तक पहुंचा चुका है।

15 साल में 650 लावारिस शव उठाए

मनजीत ने बताया कि कोविड का समय शुरू होने से पहले वो वैन से शहर के किसी भी हिस्से में लावारिस अथवा गरीब परिवारों के शव को उठाकर राजिंदरा अस्पताल तक लेकर जाने की सेवा करता रहा है। मनजीत ने बताया कि शव का अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाकर वारिस साथ होता है तो शव उन्हें सौंप देते हैं और अगर शव लावारिस है तो वे उसका अंतिम संस्कार भी करवाते हैैं। यह सेवा 15 साल से जारी है।

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.