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RGA न्यूज़
बरेली में छलका ट्रांसपोर्टरों का दर्द
कोरोना संक्रमण और कर्फ्यू के चलते दम तोड़ चुके ट्रांसपोर्ट कारोबार को अब मदद की दरकार है। बरेली में लाकडाउन खुलने के बाद कोई राहत नहीं मिली है। ट्रांसपोर्टर अब सरकार से डीजल के साथ ही टोल में छूट दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
बरेली, कोरोना संक्रमण और कर्फ्यू के चलते दम तोड़ चुके ट्रांसपोर्ट कारोबार को अब मदद की दरकार है। बरेली में लाकडाउन खुलने के बाद कोई राहत नहीं मिली है। ट्रांसपोर्टर अब सरकार से डीजल के साथ ही टोल में छूट दिए जाने की मांग कर रहे हैं। जिले में अलग-अलग ट्रांसपोर्ट यूनियनों में कुल मिलाकर चार सौ से अधिक छोटे-बड़े ट्रांसपोर्टर जुड़े हुए हैं। ट्रांसपोर्ट्स के मुताबिक अभी सामान्य दिनों की तुलना में 30 फीसदी ही काम मिल पा रहा है। ऊपर से ट्रांसपोर्टर के सामने ट्रक की किश्त चुकाने का संकट है। कारोबारी कहते हैं कि इस बार तो हालात इस कदर बिगड़े हैं कि बीमा कराना भी मुश्किल हो रहा है।
एक साल में बढ़ा 35 प्रतिशत खर्च
एक साल के भीतर ट्रांसपोर्ट्स का परिवहन खर्च 35 फीसदी तक बढ़ चुका है। मार्च 2020 से जून 2021 के बीच डीजल के दाम प्रति लीटर 23 रुपये तक बढ़े हैं। टोल टैक्स समेत अन्य खर्च भी बढ़ गए हैं, लेकिन माल भाड़े में मामूली वृद्धि हुई है। सरकार की ओर से किश्त जमा करने और टैक्स में भी कोई छूट नहीं दी गई है। ट्रांसपोर्ट्स के मुताबिक अप्रैल-मई में माल ढुलाई में भारी कमी हुई है। अब भी 40 फीसदी गाड़ियां खड़ी हुई है,जबकि मार्ग व्यय लगातार बढ़ रहा है।
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से सफर हुआ महंगा
कोरोना संक्रमण की मार और पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ने से सफर और माल भाड़ा महंगा हो गया है। ट्रांसपोर्ट यूनियन का दावा है कि पेट्रोल और डीजल के लगातार रेट बढ़ने से माल भाड़ा भी बढ़ा है।
डीजल की कीमत कम हाे या भाड़ा बढ़ाएं
डीजल और पेट्रोल के दाम में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे मध्यम वर्ग ही नहीं ट्रांसपोर्ट व्यवसायी भी परेशान है। अब डीजल और पेट्रोल के दाम तो बढ़ रहे है, पर माल ढुलाई का भाड़ा नहीं बढ़ाया जा रहा है। इसके चलते भी ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों को चार से पांच हजार रुपये प्रति चक्कर नुकसान और उठाना पड़ रहा है।
ट्रांसपोर्टरों ने मनाया काला दिवस
डेढ़ साल से कोरोना संक्रमण के चलते ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में लगातार हानि हो रही है। ऐसे में टायर व मोटर के अन्य पार्ट्स की कीमतों और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। वहीं दूसरी और बाजार में ट्रांसपोर्टर व्यवसाय के लिए माल भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और भाड़े में भी वृद्धि न हो पाने के कारण ट्रांसपोर्ट व्यवसायों को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहाएसोसिए
लगातार डीजल व अन्य पार्ट्स की बढ़ती कीमतों के कारण ट्रांसपोर्ट व्यवसायों को ट्रक की किश्तें और स्टाफ का खर्च निकालना भी असंभव हो रहा है। ऐसे में सभी ट्रांसपोर्ट्स ने सोमवार को काला दिवस मनाते हुए प्रदर्शन किया। बाद में सभी ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया। मुख्य रूप से मो. तनवीर, महेंश चंद्र शर्मा, राजकुमार गर्ग, प्रथमेश गुप्ता आदि मौजूद रहे।
डीजल के रेट बढ़ने का असर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर भी पड़ा है। अभी ट्रांसपोर्टर बहुत कम मार्जिन पर काम कर रहे हैं। एक से दो रुपये प्रति किलोमीटर का घाटा आ रहा है। - हरीश वेग, अध्यक्ष किला ट्रांसपोर्ट एसोसिएश
पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम और पर्याप्त माल भाड़ा नहीं होने के कारण छोटे ट्रांसपोर्ट्स किश्त नहीं निकाल पा रहे हैं। सरकार को इस सेक्टर की ओर ध्यान देने की जरूरत है। माल भाड़ा ज्यादा बढ़ा तो महंगाई बढ़ेगी।- रविंद्र सिंह, ट्रांसपोर्ट्स
व्यवसाईयों के इस बार भी किस्त अदा नहीं करने पर फाइनेंस कंपनियों ने गाड़ियां खींच ली है। माल भाड़े के हिसाब से परिवहन का व्यय बढ़ा है। चालक, हेल्पर का खर्च हो या फिर टोल व अन्य खर्चे। कई बार घाटा उठाना पड़ रहा है। - दीपक चतुर्वेदी, ट्रांसपोर्ट्स