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बरेली : गन्ने के खेत में मिली नवजात को देख मालिक ने बुलाई पुलिस
मां तूने नौ माह मुझे अपनी कोख में रखा फिर क्यों मरने के लिए फेंक दिया? मैं इतनी ही बुरी थी तो इस दुनिया में क्यों लाई? मुझे अभागी कहने के साथ ही लोग तेरी ममता को भी कोस रहे हैं।
बरेली, मां तूने नौ माह मुझे अपनी कोख में रखा, फिर क्यों मरने के लिए फेंक दिया? मैं इतनी ही बुरी थी तो इस दुनिया में क्यों लाई? मुझे अभागी कहने के साथ ही लोग तेरी ममता को भी कोस रहे हैं। बेटी होने के नाते मुझे ठुकरा दिया या कोई और मजबूरी थी? यह उस बेटी का दर्द है, जिसे सुल्तानपुर गांव के समीप गन्ने के खेत में एक मां फेंक कर चली गई। एक ग्रामीण ने उसे उठाकर सीने से लगाया। उसकी पत्नी ने स्तनपान कराया। बच्ची घायल थी, इसलिए उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया।
उसे गोद लेने के लिए कई ग्रामीण अस्पताल तक पहुंच गए। सुल्तानपुर निवासी नौलखराम के मकान के समीप गन्ने का खेत है। रात में किसी समय कोई वहां नवजात बच्ची को छोड़कर चला गया। सुबह लगभग पांच बजे नौलखराम को खेत से किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जब वह पहुंचे तो उन्हें वहां गर्भनाल सहित खून से लथपथ बच्ची दिखी। कुछ ही देर में यह खबर पूरे गांव में फैल गई। ग्रामीण एकत्रित हो गए। चौकी प्रभारी सुनील कुमार त्रिपाठी आ गए। महिलाओं ने दाई के माध्यम से उसका गर्भनाल अलग कराया। साफ-सफाई कर कपड़े पहनाए। इस बीच थाना प्रभारी जसवीर ङ्क्षसह पहुंच गए। 108 एंबुलेंस से बच्ची को स्वास्थ्य केंद्र शेरगढ़ भेजा गया। प्रभारी चिकित्साधिकारी शेरगढ़ डा. नैन ङ्क्षसह ने बताया कि बच्ची को जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
पैर की एड़ी में है जख्म
गन्ने के खेत में बच्ची को डाले जाने पर चीटियों ने उसकी पैर की एड़ी को जख्मी कर दिया। गन्ने की कटीली पत्तियों पर पैर पटकने के कारण भी जख्म हो सकता है। मां नहीं, फिर भी बरसी ममता भूखी-प्यासी बच्ची को देख एक दूसरी मां की ममता बरस पड़ी। नौलखराम की पत्नी गुलशन देवी ने उसे स्तनपान कराया। गुलशन देवी ने 15 दिन पूर्व ही एक बच्ची को जन्म दिया है। दंपती ने उस बच्ची को गोद लेने की बात कही। -
कई महिलाएं बच्ची को गोद लेने की इच्छुक
खेत में मिली बच्ची को गुलशन देवी, रूप देई, राधिका आदि महिलाएं गोद लेना चाह रही थीं। इसको लेकर उनके बीच जिद्दोजहद शुरू हो गई। चौकी प्रभारी दुनका सुनील कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पहले बच्ची को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा जाएगा। बाद में नियमानुसार गोद लेने की प्रक्रिया को जो पूर्ण करेगा, उसी को बच्ची सौंपी जाएगी। बच्ची को गोद लेने के लिए उत्सुक नौलखा राम पत्नी गुलशन देवी, श्रीकृष्ण पत्नी राधिका के साथ एंबुलेंस से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शेरगढ़ भी पहुंचे। जहां से बच्ची को जिला अस्पताल भेजा गया।
नवजात सेप्टीसीमिया से ग्रसित नवजात
जिला महिला अस्पताल में बने सिक न्यू बार्न बेबी केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती कराया गया है। सीएमएस व बाल रोग विशेषज्ञ डा.अलका शर्मा बताती हैं कि जांच के दौरान बच्ची सेप्टीसीमिया से ग्रसित मिली है। उसके शरीर के अंदरूनी अंगों में संक्रमण हुआ है। उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। नवजात को रेडिएंट वार्मर पर रखा गया है, जहां उसकी हालत फिलहाल गंभीर है। डाक्टर लगातार उसकी निगरानी कर रही हैं।
लावारिस मिली बच्ची को गोद देने की प्रक्रिया
लावारिस मिले नवजात को गोद लेने की विधिक प्रक्रिया का पालन करना होता है। कारा डॉट एनआइसी डॉट इन की वेबसाइट पर पंजीयन के बाद लोग केंद्रीयकृत व्यवस्था में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। खेत में मिली नवजात बच्ची चिकित्सीय रूप से पूरी तरह से ठीक होने के बाद बाल संरक्षण इकाई के सामने प्रस्तुत होगी। वहां उसको बार्न बेबी फोल्ड अनाथलाय में छह से आठ महीने रखा जाएगा। वैध वारिस नहीं आने पर आनलाइन गोद देने की प्रक्रिया शुरू होगी।