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RGA न्यूज़
साइबर अपराधी यूपीआइ से उड़ रहा है खाते से पैसा, रहना होगा हरदम सावधान।
साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों की गाढ़ी कमाई को उनके बैंक खातों से उड़ा रहे हैं। साइबर क्राइम से लेकर पुलिस भी उन्हें नहीं पकड़ पा रही है। शहर में पिछले एक महीने में यूपीआइ को साइबर अपराधियों ने निशाना बनाना शुरू कर दिया है। आपको सतर्क रहना है।
मेरठ, कोरोना काल में शहर में आनलाइन बैंकिंग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। तो दूसरी तरफ साइबर क्राइम की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों की गाढ़ी कमाई को उनके बैंक खातों से उड़ा रहे हैं। साइबर क्राइम से लेकर पुलिस भी उन्हें नहीं पकड़ पा रही है। शहर में पिछले एक महीने में यूपीआइ को साइबर अपराधियों ने निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इस समय फेसबुक पर फर्जी आइडी बनाकर एक दूसरे के फ्रेंड से पैसे मांगने की शिकायत आ रही है। जिसे लेकर लोग फेसबुक पर एक दूसरे को सतर्क भी कर रहे हैं। साइबर क्राइम से जुड़े पुलिस अधिकारियों के अनुसार साइबर ठग इंटरनेट माध्यम से लोगों की गतिविधियों पर नजर गड़ाए हुए हैं। फेसबुक, ट्वीटर के माध्यम से साइबर ठग लोगों को झांसे में ले रहे हैं।इसमें आनलाइन खरीददारी करने, आनलाइन टिकट बुक कराने से लेकर आनलाइन गतिविधियों में सक्रिय लोगों का नंबर लेकर साइबर ठग घटना को अंजाम दे रहे हैं।
ठगी के ऐसे-ऐसे मामले, आप होंगे हैरान
अभी ब्रहमपुरी थाने में एक रिपोर्ट दर्ज कराई गई। जिसमें एक व्यक्ति ने आइआरसीटीसी के माध्यम से टिकट कराया था। टिकट कनफर्म होने के बाद कैंसिल हो गया। जिसका पैसा रिफंड नहीं हुआ। तो संबंधित व्यक्ति ने मेल और ट्वीटर पर शिकायत दर्ज करा दिया। इसका संज्ञान लेकर साइबर ठग ने खुद को आइआरसीटीसी का प्रतिनिधि बनकर फोन किया। टिकट रिफंड करने के नाम पर यूपीआइ से साइबर ठग ने स्टेट बैंक कैंट ब्रांच के खाते से 51 हजार रुपये खाते से उड़ा दिया। आनलाइन ठगी में न तो पासवर्ड पूछा गया और नहीं ओटीपी की जानकारी दी गई। फिर भी खाते से पैसा गायब। साइबर सेल की जांच में पता चला कि साइबर ठगी करने वाले झारखंड के हैं। जिस तक पुलिस भी नहीं पहुंच सकती।
ठगी से बाल-बाल बचे
मेरठ के गंगानगर के रहने वाले पेशे से शिक्षक परमवीर सिंघल आनलाइन ठगी से बचे। किसी नामी कंपनी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले ने उन्हें कुछ आनलाइन सर्विस देने के लिए आफर दिया। कंपनी का नाम और पता सबकुछ सही लिखा गया था। लेकिन जिस बैंक खाते को दिया गया था, वह किसी व्यक्ति के नाम पर फर्जी खाता था। यह तो गनीमत रही कि वह ठगी होने से बच गए।
बैंक भी नहीं रोक पा रहे
आरबीआइ की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि हर ट्रांजेक्शन की सूचना मैसेज के माध्यम से ग्राहक को दिया जाए। अगर अनाधिकृत लेनदेन है तो ग्राहक के फोन करने पर उस खाते को होल्ड करें। यूपीआइ से होने वाले फर्जीवाड़े पर बैंक भी खुद को असहाय पा रहा है। साइबर ठग पेटीएम, गूगल पे या फोन पे से यूपीआइ को लिंक कर पैसा उड़ा रहे हैं। हालांकि बैंक से लेकर आइआरसीटीसी ग्राहकों को लगातार सतर्क कर रहे हैं कि वह किसी से भी कोई जानकारी नहीं मांगते हैं।
तीन दिन के अंदर करें शिकायत
साइबर ठगी में आरबीआइ की ओर से ग्राहकों की सहायता के निर्देश भी बैंकों को दिए गए हैं। जिसमें घटना के तीन दिन के भीतर शिकायत करने पर बैंक पैसा रिफंड कर सकते हैं। 90 दिन में बैंक पैसा नहीं रिफंड करता है तो आरबीआइ को शिकायत की जा सकती है।
हो जाए साइबर ठगी तो ये करें
- जिस बैंक में फर्जीवाड़ा हुआ है, वहां सूचना दें।
- भीम, पेटीएम, गूगल पे, फोन पे आदि जिस से फर्जीवाड़ा हुआ है तो स्क्रीनशाट लेकर संबंधित मोबाइल वालेट को भेजे, इससे पता चल जाएगा कि पैसा किसके खाते में ट्रांसफर हुआ है।
- साइबर सेल को लिखित शिकायत कीजिए।
- नेशनल पेमेंट कारपोरेशन इंडिया को भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- आरबीआइ को भी शिकायत कर सकते हैं।
आनलाइन बैंकिंग करते हैं तो इससे बचे-
साइबर ठग नए नए तरीके अपना रहे हैं। कुछ महीनों से साइबर ठग सर्वे मंकी वेबसाइट का सहारा लेकर लोगों की डिटेल हासिल कर रहे हैं। इसमें वह ग्राहक के मोबाइल पर कुछ सर्वे के नाम पर डिटेल हासिल कर लेते हैं। फिर जो मोबाइल नंबर बैंक और आधारकार्ड से जुड़ा होता है, उससे मैसेज भेजकर खाते की जानकारी लेकर पैसा उड़ा लेते हैं। कुछ लोग समझते हैं कि पासवर्ड और ओटीपी नहीं बताएंगे तो वह सुरक्षित रहेंगे। साइबर ठग अब ओटीपी और पासवर्ड पूछे बगैर खाता खाली कर रहे हैं। साइबर विशेषज्ञों और बैंक से तकनीकी अधिकारियों के अनुसार आनलाइन बैंकिंग करते समय लगातार पासवर्ड बदलते रहना चाहिए। अनजान एप और वेबसाइट को खोलने से बचना चाहिए। जो मोबाइल नंबर बैंक से जुड़ा है, उस नंबर को सुरक्षित रखे।