राजस्थान भाजपा में अंतर्कलह बढ़ा, वसुंधरा समर्थक पूर्व मंत्री बोले- प्रदेश अध्यक्ष खुद अनुशासनहीन

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RGA न्यूज़

राजस्थान भाजपा का सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा

पूनिया के निर्देश पर वसुंधरा के विश्वस्त पूर्व मंत्री डॉ.रोहिताश्व शर्मा को दिए गए कारण बताओ नोटिस के बाद दोनों खेमे सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे को घेरने में जुट गए। राजस्थान भाजपा का सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा 

जयपुर, राजस्थान भाजपा का सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा । पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खेमे और पार्टी संगठन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। वसुंधरा विरोधी खेमे मे प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया व उप नेता राजेंद्र राठौड़ है। पूनिया के निर्देश पर वसुंधरा के विश्वस्त पूर्व मंत्री डॉ.रोहिताश्व शर्मा को दिए गए कारण बताओ नोटिस के बाद दोनों खेमे सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे को घेरने में जुट गए। शर्मा ने मंगलवार को कहा,पूनिया खुद अनुशासनहीनता कर चुके वे दूसरों को अनुशसन की क्या सीख दे सकते हैं।

शर्मा ने पूनिया को उनके 22 साल पुराने पत्र के आधार पर अनुशासनहीन बताते हुए कहा कि वे प्रदेश अध्यक्ष कैसे रह सकते हैं । उधर वसुंधरा समर्थक दो पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और भवानी सिंह कोटा में संगठन की बैठक में शामिल नहीं हुए। राजावत ने कहा कि वे अपने हिसाब से फैसले करते हैं तो फिर बैठक में जाने का क्या फायदा । गुंजल ने कहा कि मुझे बैठक में बुलाया ही नहीं गया,अगर बुलाते तो भी नहीं जाता। अन्य जिलों में भी वसुंधरा समर्थक संगठन की बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं ।

पूनिया का पत्र जिलों में पहुंचा

वसुंधरा खेमे और पार्टी संगठन में चल रहे तनाव के बीच पूनिया का 22 साल पुराने एक पत्र की कॉपी सभी जिला व प्रदेश स्तरीय नेताओं के पास पहुंची है। जिसमें पूनिया ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कटारिया का पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने दिग्गज नेता स्व.भैरोंसिंह शेखावत, ललित किशोर चतुर्वेदी और हरिशंकर भाभड़ा पर टिकट काटने का आरोप लगाया था।

उन्होंने तीनों नेताओं को कार्यकर्ताओं की छाती पर पैर रखकर टिकट काटने वाला बताया था। जुलाई, 1999 में लिखे इस पत्र में पूनिया ने राठौड़ व पूर्व सांसद को पार्टी के लिए "भस्मासुर" बताया था। वसुंधरा समर्थकों का कहना है कि यह पत्र लिखकर पूनिया ने खुद अनुशासनहीनता की थी। उधर प्रदेश संगठन द्वारा शर्मा को उनकी बयानबाजी के लिए दिए गए नोटिस का मामला राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह तक पहुंच गया। वे इस बारे में निर्णय लेगे ।

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