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RGA न्यूज पटना
कुछ दिनों पहले ही बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह का भयावह सच दुनिया के सामने आया था। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यहां रहने वाली 34 बच्चियों के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। लेकिन यह बिहार का अकेला ऐसा शेल्टर होम नहीं है जहां बच्चियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया गया हो। इस मामले को उजागर करने वाले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसिज (टीआईएसएस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट ने ऐसे ही 14 शेल्टर होम की पहचान की है। इसी रिपोर्ट की वजह से ब्रजेश ठाकुर की गिरफ्तारी हुई है।
टीआईएसएस की रिपोर्ट के अनुसार इन शेल्टर होम्स में रहने वाली कई नाबालिगों के गर्भवती होने की खबर है। इनमें से कुछ ने तो बच्चों को भी जन्म दिया है। टीआईएसएस की 100 पन्नों की रिपोर्ट में 35 जिलों के 110 शेल्टर होम, शॉर्ट स्टे होम के ऑडिट का जिक्र है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस रिपोर्ट को जल्द सार्वजनिक कर सकती है। रिपोर्ट में 15 सेंटरों में यौन या शारीरिक शोषण होने की बात कही गई है। जिनमें से एक को ब्रजेश ठाकुर चलाता था।
इन 15 सेंटरों का जिक्र एक विशेष शीर्षक के साथ किया गया है 'गंभीर चिंता- इन सेंटरों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है'। ठाकुर का शेल्टर होम, जिसे कि उसकी एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति चलाती है, उसके बारे में रिपोर्ट में कहा गया है- लड़कियों के साथ यौन शोषण के मामलों में सबसे आगे है। सभी कम उम्र की और पिछड़े वर्ग से आने वाली लड़कियों के साथ सजा और अनुशासन के नाम पर यौन शोषण किया जाता है। लड़कियों ने बताया है कि पुरुष स्टाफ नियमित तौर पर उनका शोषण करते हैं।'
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 15 सेंटरों में पटना के ऐकार्ड द्वारा चलाए जाने वाले शॉर्ट स्टे होम, मोतिहारी (सखी), कैमूर (ग्राम स्वराज सेवा संस्थान), माधेपुरा, (महिला चेतना विकास मंडल) और मुंगेर (नॉवल्टी वेलफेयर सोसायटी) शामिल हैं। सरकार की देखरेख में संचालित अन्य शेल्टर होम अररिया सेंटर, मुजफ्फरपुर का ओम साईं फाउंडेशन, पटना का डोन बॉस्को टेक सोसायटी द्वारा संचालित कौशल कुटीर और गया मेत्ता बुद्धा ट्रस्ट द्वारा संचालित सेवा कुटीर हैं।
इनमें लड़कों के शेल्टर होम में निर्देश द्वारा संचालित मोतिहारी सेंटर, भागलपुर में रूपम प्रगति समाज समिति, मुंगेर में पन्ना और गया में डीओआरडी हैं। इसके अलावा पटना के नारी गुंजन, मधुबनी के आरवीईएसके और कैमुर के ग्यान भारती को भी गंभीर चिंता वाली श्रेणी में रखा गया है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सभी श्रेणियों के संस्थानों में शारीरिक और यौन शोषण, पिटाई, उपेक्षा और अपमान होता रहता है।