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विधानसभा चुनाव के जरिए सत्ता में भूमिका की चाहत रखने वाली कांग्रेस की पंचायत चुनाव में कलई खुल गई है।
पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव का रिहर्सल मानते हुए कांग्रेस ने जनपद में संगठन सृजन अभियान जोर-शोर से चलाया। दावा किया गया कि कांग्रेस कार्यकर्ताअों ने एक-एक गांव का दौरा कर ग्रामीणों को सरकार की गलत नीतियों से अवगत कराया।
अलीगढ़, पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव का रिहर्सल मानते हुए कांग्रेस ने जनपद में संगठन सृजन अभियान जोर-शोर से चलाया। दावा किया गया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक-एक गांव का दौरा कर ग्रामीणों को सरकार की गलत नीतियों से अवगत कराया। कांग्रेस की उपलब्धियां भी गिनाईं हैं। इससे ज्यादा से ज्यादा प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य चुनकर आएंगे। लेकिन, चुनाव नतीजों ने संगठन सृजन अभियान की हवा निकाल दी। हालात ये हो गए कि अध्यक्ष पद तो दूर, सम्मान बचाने लायक सदस्य भी कांग्रेस जिता नहीं पाई। नतीजत, जिला पंचायत अध्यक्ष पद के महासमर से भी वह गायब है। ब्लाक प्रमुख चुनाव में कांग्रेस उतरेगी, इसकी उम्मीद भी कम ही है। ऐसे हालात में संगठन के होने के बाद भी सत्ता में वापसी मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसी ही है।
कांग्रेस की हालत और पतली हुई
विधानसभा चुनाव के जरिए सत्ता में प्रमुख भूमिका की चाहत रखने वाली कांग्रेस की पंचायत चुनाव में कलई खुल गई है। नतीजों से साफ है कि कांग्रेस की हालत और पतली हुई है। एकमात्र जिला पंचायत सदस्य, नतीजों के बाद जिसका कांग्रेसियों ने गौरवान्वित होते हुए जोरदार स्वागत किया। एक दर्जन सदस्यों के समर्थन का और दावा किया। हैरानी की बात ये है कि इकलौता सदस्य इस समय कहां है, खुद कांग्रेसियों को भी नहीं पता। जबकि, इस चुनाव के लिए कांग्रेस ने अलीगढ़ समेत पूरे प्रदेश में संगठन सृजन अभियान चलाया। इसमें प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेता तक आए और गांव में पंचायतें की। अफसोस, कांग्रेसियों की बातें ग्रामीणों को लुभा नहीं पाईं
ले डूबी गुटबाजी
कांग्रेस की सबसे बड़ी बीमारी, इसके नेताओं के बीच गुटबाजी है। जिस समय संगठन सृजन अभियान चल रहा था, उस समय वरिष्ठ नेताओं के एक गुट ने जिलाध्यक्ष के खिलाफ ही मोर्चा खोला हुआ था। वहीं, एक वरिष्ठ व कद्दावर नेता संगठन को मजबूत बनाने की बजाय क्षेत्र विशेष में व्यक्तिगत जनाधार बढ़ाने की कोशिश में थे, जो अभी भी बदस्तूर जारी है। उन्होंने पंचायत चुनाव में कांग्रेस की लाज बचाने तक प्रयास नहीं किया। चुनाव से ठीक पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह कांग्रेस का हाथ झटक-कर साइकिल पर सवार हो गए। ऐसे में पंचायत चुनाव की कमान संभालने वाला पार्टी का कोई नेता ही नहीं बचा। नतीजन, कांग्रेस चुनावी परिदृष्य से ओझल हो गई।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष बोले, सत्ता का दुरुपयोग
कांग्रेस जिलाध्यक्ष चौ. सुरेंद्र सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने पंचायत चुनाव में काफी मेहनत की, लेकिन भाजपा ने पैसे के दम पर कांग्रेस समर्थित व अन्य दल के समर्थित अधिकतर सदस्यों को खरीद लिया। करोड़ों रुपया चुनाव पर खर्च हो रहा है। ऐसा जिला पंचायत अध्यक्ष जनपद का कैसा विकास करेगा, आम आदमी भी समझ सकता है।