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RGA न्यूज़
रोजगार के लिए महानगरों की तरफ बढ़े कदम, दिल्ली रूट की बसों की मांग
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में रोजगार छिना तो लोग घर लौट आए। कोरोना कर्फ्यू में लोगों ने यात्रा करने से परहेज किया। इससे रोडवेज की आय घट गई। यात्री नहीं मिलने से कुछ रूट पर बसें खाली चल रही थीं। डीजल का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा था।
प्रयागराज, कोरोना की तीसरी लहर का असर कम होने के साथ लोग महानगरों की ओर प्रस्थान करने लगे हैं। ट्रेनों में सीटें फुल होने के चलते लोग बसों का सहारा ले रहे हैं। हालांकि किराया ट्रेन की अपेक्षा अधिक देना पड़ रहा है। लेकिन करीब तीन माह से आर्थिक तंगी झेलने की वजह से प्रवासी श्रमिक हर हाल में मुंबई और दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। ऐसे में रोडवेज की कमाई में भी इजाफा हुआ है।
कोरोना का असर कम होने के साथ रोडवेज की बढ़ी आय
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में रोजगार छिना तो लोग अपने घर लौट आए। कोरोना कर्फ्यू में लोगों ने यात्रा करने से परहेज किया। इससे रोडवेज की आय घट गई। यात्री नहीं मिलने से कुछ रूट पर बसें खाली चल रही थीं। डीजल का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा था। जून के पहले सप्ताह में कई बसों के दस्तावेज आरटीओ कार्यालय में सरेंडर करने की तैयारी की गई। लेकिन, हालात में सुधार होने पर कंपनी और फैक्ट्री से बुलावा आने लगा। ऐसे में रोडवेज की कमाई में सुधार जरूर हुआ। प्रतिदिन 60 लाख रुपये का कलेक्शन हो रहा है।
कोरोना महामारी का असर कम होने के बाद यात्री बस से सफर करने लगे हैं। आय में सुधार जरूर हुआ है। 55 से 60 लाख रुपये प्रतिदिन कलेक्शन हो रहा है। लेकिन, शनिवार व रविवार की बंदी से टिकट कलेक्शन घट जाता है।