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RGA न्यूज़
शिक्षक विधायक के भतीजे की कार समेत पांच लग्जरी वाहन बरामद और उपकरण भी चोरों से बरामद
लग्जरी वाहनों की चोरी के मामले बढ़े तो एसएसपी ने क्राइम ब्रांच और सर्विलांस टीम को बदमाशों का पता लगाने के निर्देश दिए। मंगलवार सुबह क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली कि वाहन चोरों के गिरोह के सदस्य कैंट के कमला नगर इलाके में पहुंचने वाले हैं।
प्रयागराज, कैंट पुलिस और क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को अंतरराज्यीय वाहन चोरों के गैंग का राजफाश किया है। पांच बदमाशों को गिरफ्तार कर पांच लग्जरी वाहन बरामद किए गए हैं। इसमें शिक्षक विधायक डा. सुरेश त्रिपाठी के भतीजे की कार भी शामिल हैं। पुलिस के हाथ 43 वाहनों के फर्जी कागजात और गाड़ी चुराने में इस्तेमाल होने वाले उपकरण भी मिले हैं। गिरोह के अन्य सदस्यों के नाम की भी जानकारी हुई है, जिनकी तलाश की जा रही है।
इटावा और कानपुर के भी अपराधी गिरोह में शामिल
इधर कुछ समय से लग्जरी वाहनों की चोरी के मामले बढ़े तो एसएसपी ने क्राइम ब्रांच और सर्विलांस टीम को बदमाशों का पता लगाने के निर्देश दिए। मंगलवार को क्राइम ब्रांच के प्रभारी संजय यादव और एसओजी गंगापार प्रभारी मनोज सिंह को जानकारी मिली कि वाहन चोरों के गिरोह के सदस्य कैंट के कमला नगर इलाके में पहुंचने वाले हैं। खबर पाते ही क्राइम ब्रांच मौके पर पहुंची और चौकी प्रभारी इंदु वर्मा के साथ बताए गए स्थान पर घेराबंदी कर दी। कुछ ही देर में पुलिस ने एक लग्जरी वाहन में सवार पांच बदमाशों को पकड़ लिया। इसमें रंजीत उर्फ रिंकू निवासी यशोदा नगर थाना फ्रेंडस कालोनी जनपद इटावा, आदित्य सिंह निवासी किदवई नगर कानपुर नगर, शीबू निवासी आरएन लाइन न्यू कैंट धूमनगंज, मोहम्मद आरिफ व शहंशाह निवासी जाटवपुरी चुंगी रसूलपुर जनपद फिरोजाबाद शामिल थे। इनकी निशानदेही पर चार और लग्जरी वाहन बरामद किए गए। इसमें एक कार शिक्षक विधायक डा. सुरेश त्रिपाठी के भतीजे की थी। इसे बदमाशों ने अभी कुछ दिन पहले ही जार्जटाउन इलाके से चोरी किया था।
दूसरे राज्यों से चुराने के बाद तैयार करते थे फर्जी कागजात
एसएसपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने बताया कि गिरफ्तार बदमाश उप्र के साथ ही दिल्ली, बिहार, झारखंड, मप्र, पश्चिम बंगाल, आसाम, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों से लग्जरी वाहन चोरी करते थे। शीशे पर टेप लगाकर उसे काटते थे। इलेक्ट्रानिक डिवाइस लगाकर लॉक और टैबलेट के माध्यम से वाहन के सेंसर को डी एक्टीवेट कर देते थे। मास्टर की से वाहनों को स्टार्ट करते थे। फर्जी नंबर प्लेट लगाने के साथ ही चेचिस व इंजन नंबर भी बदल देते थे। दुर्घटनाग्रस्त वाहनों के कागजातों को हासिल कर उनका रजिस्ट्रेशन नंबर वे चोरी के वाहनों में डाल देते थे। इसके लिए कागजातों में हेराफेरी की जाती थी। इसके बाद वाहनों को दूसरे राज्यों में बेच देते थे।