मानसून के इंतजार में सूख न जाए धान 

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RGA न्यूज़ 

अलीगढ़ में गेहूं के बाद धान मुख्य फसल है। धान की रोपाई करती महिलाएं।

मानसून में हो रही देरी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खासकर धान उत्पादक किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं। नर्सरी तैयार होने के बाद कुछ किसानों ने रोपाई शुरू कर दी है। इसके लिए भरपूर पानी चाहिए। मगर इतना मिल नहीं पा रहा।

अलीगढ़, मानसून में हो रही देरी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खासकर धान उत्पादक किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं। नर्सरी तैयार होने के बाद कुछ किसानों ने रोपाई शुरू कर दी है। इसके लिए भरपूर पानी चाहिए। मगर इतना मिल नहीं पा रहा। बिजली आपूर्ति गड़बड़ाने से नलकूप नहीं चल पाते। नहर, रजवाहे भी सूख पड़े हैं। बिजली भी कभी सुबह तो कभी रात में आती है, तभी किसान खेतों में पानी भर लेते हैं। पानी के अभाव में धान की नर्सरी भी सूख रही हैं। मौसम विशेषज्ञ अगले दो-तीन दिन में तेज बारिश की बात कह रहे हैं।

गेहूं के बाद धान मुख्‍य फसल

जनपद में गेहूं के बाद धान मुख्य फसल है। इस बार धान का रकबा 9500 हेक्टेयर है। इस फसल के लिए भरपूर पानी की जरूरत होती है। आमतौर पर जून के आखिर में प्री-मानूसन दस्तक दे देता है। लेकिन इस बार मानसून में हुई देरी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। वे आसमान की ओर टकटकी लगाए बारिश का इंतजार कर रहे हैं। जून में एक-दो बार ही बारिश हुई, जो धान उत्पादक किसानों के लिए नाकाफी थी। आसमान में बादल तो घुमड़ते हैं, लेकिन तेज हवा चलने पर बादल बिना बरसे चले जाते हैं। इंजन से नलकूप चलाने पर लागत अधिक आ रही है। डीजल भी मंहगा है। बिजली की दर भी बढ़ी हुई हैं। कृषि अधिकारी रागिब अली बताते हैं कि 10 से 15 फीसद ही धान की रोपाई अभी तक हो सकी है। धान उत्पाद किसानों को पानी की आवश्यकता अधिक होती है। अधिकतर किसान बारिश पर ही निर्भर हैं। नलकूप, समबर्सिबल बिजली आने पर ही चलते हैं। दो-तीन दिन में तेज बारिश होने के आसार बन रहे हैं।

किसानों की सुनो

खेत में धान लगा रखा है। बारिश का इंतजार कर रहे हैं। बादल आते हैं और चले जाते हैं। बिजली भी इतनी नहीं मिल रही कि समबर्सिबल चलाकर खेत भर सकें। बारिश न हुई तो फसल चौपट हाे जाएगी।

हरिओम चौधरी, मानगढ़ी

एक हेक्टेयर खेत में पानी भरने काे पांच घंटे समबर्सिबल चलाना पड़ता है। इतने घंटे लगातार बिजली नहीं मिल रही। सुबह खेत में पानी भर दिया तो धूप इतनी तेज है कि शाम तक सूख जाता है।

रामभान सिंह, गांव खेड़िया ताल्लुक लोहगढ़

सिंचाई के साधन

820 राजकीय नलकूपों से 5225 हेक्टेयर कृषि भूमि की होती सिंचाई

64,600 निजी नलकूपों से 270670 हेक्टेअर में होती है सिंचाई

1,560 किमी तक फैला है नहरों का नेटवर्क

12 प्रमुख वाटरशेड (जलागम क्षेत्र) हैं जिले में

ज्यादातर किसान जुलाई के शुरूआत में धान की राेपाई करते हैं। कुछ किसानों में रोपाई कर दी है। इस बार बारिश अच्छी होने के आसार हैं।

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