देश-दुनिया में फिर रजौन के कतरनी की फैलेगी खुशबू... किसानों की बढ़ेगी आमदनी, एफआइजी और एफपीओ बनाकर करेंगे खेती

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RGA न्यूज़

रजौन के कतरनी की खुशबू फ‍िर देश-दुनिया तक फैलेगी।

रजौन के कतरनी की खुशबू फ‍िर देश-दुनिया तक फैलेगी। यहां के किसान अब एफआइजी और एफपीओ बनाकर इसकी खेती करने जा रहे हैं। इसके लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को हर संभव मदद दी जा रही है।

 बांका। रजौन के कतरनी की खुशबू फिर देश और दुनिया तक फैलेगी। इसके लिए तैयारी नए सिरे से तैयारी की जा रही है। सरकार द्वारा एक जिला, एक उत्पाद योजना के तहत बांका के लिए कतरनी का चयन किया गया है। इसके तहत किसान संगठित होकर खेती करेंगे। इससे उन्हें अपने उत्पाद की बिक्री करने में सहूलियत होगी। साथ ही उत्पाद का सही कीमत भी मिलेगा।

दरअसल, रजौन की पहचान कतरनी धान और चूड़ा से है। कतरनी के सबसे अच्छे किस्म की पैदावार रजौन के मझगांय-डरपा और ङ्क्षसघनान पंचायत में होती है, लेकिन अब यहां के किसान इसकी खेती से मुंह मोडऩ़े लगे थे। ऐसे में अब नई योजना इन किसानों के लिए संजीवनी का काम करेगी।

पहले चरण में किसानों के समूह का होगा गठन

करतनी की खेती करने वाले किसानों का समूह तैयार करने का जिम्मा आत्मा को दिया गया है। इसके तहत पहले चरण में किसान हितकारी समूह (एफआइजी) का गठन किया गया है। प्रत्येक समूह में में 20-20 किसानों को शामिल किया गया है। इसके बाद दूसरे चरण में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का गठन किया जाएगा। इसमें कतरनी की खेती करने वाले सभी किसानों को जोड़ा जाएगा। इसके लिए बुधवार को आत्मा के उप परियोजना निदेशक नवीन कुमार एवं राजीव कुमार ने कैथा गांव के किसानों को एफपीओ के गठन के बारे में विसतार से जानकारी दी। इस दौरान सहायक तकनीकी प्रबंधक रंजन कुमार, रमण कुमार और आदित्य श्री के साथ ही काफी संख्या में कतरनी धान उत्पादक किसान उपस्थित थे।

300 एकड़ में खेती का रखा गया है लक्ष्य

रजौन के रजौन के मझगांय-डरपा और ङ्क्षसघनान पंचायत के तीन सौ एकड़ में कतरनी धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है। आत्मा के उप परियोजना निदेशक नवीन कुमार ने बताया कि बांका के लिए कतरनी का चयन एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत किया गया है। यहां के चयनित किसानों को कृषि विभाग द्वारा केविके के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। ताकि वे परंपरागत खेती की जगह आधुनिक तकनीक अपना कर इसकी खेती कर सकें। कतरनी धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को समूह बनाकर खेती कराई जाएगी।

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