नदीम और अबू सलेम ने करवाई थी गुलशन कुमार की हत्या: बॉम्बे हाई कोर्ट

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RGA न्यूज़

नदीम और अबू सलेम ने करवाई थी गुलशन कुमार की हत्या: बॉम्बे हाई कोर्ट।

गुललशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि कैसेट किंग की हत्या संगीतकार नदीम सैफी और गैंगस्टर अबू सलेम ने करवाई थी। हाई कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए अब्दुल रऊफ मर्चेंट की सजा तो बरकरार ही रखी।

 मुंबई। करीब 24 साल पहले हुए गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि 'कैसेट किंग' की हत्या संगीतकार नदीम सैफी और गैंगस्टर अबू सलेम ने करवाई थी। हाई कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए अब्दुल रऊफ मर्चेंट की सजा तो बरकरार ही रखी, निचली अदालत द्वारा बरी किए जा चुके उसके भाई अब्दुल रशीद मर्चेंट को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, लेकिन टिप्स इंडस्ट्रीज के सहसंस्थापक रमेश तौरानी को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।जस्टिस एसएस जाधव और जस्टिस एनआर बोरकर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए इसे एक नृशंस हत्याकांड करार दिया।

कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने अब्दुल रऊफ के बारे में जो कहा है, हमें उसमें कोई संदेह नहीं है। उसने बिना किसी कारण के गुलशन कुमार पर गोलियां बरसाईं और उनकी हत्या कर दी। रऊफ की गुलशन कुमार से कोई निजी दुश्मनी नहीं थी। इसके बावजूद उसने नदीम सैफी व अबू सलेम के कहने पर यह काम किया, जो गुलशन कुमार के साथ अपनी दुश्मनी निभाना चाहते थे। बता दें कि नदीम सैफी और अबू सलेम, दोनों इस मामले में भगोड़े घोषित किए गए थे। सलेम को बाद में पुर्तगाल से प्रत्यíपत करके भारत लाया गया, वह अभी कई अन्य मामलों में जेल में है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में प्रत्यक्षदर्शी गवाहों की सराहना भी की। कोर्ट ने कहा कि हमें घटना के उन प्रत्यक्षदर्शियों की सराहना करनी होगी, जो न सिर्फ गुलशन कुमार के ड्राइवर के साथ उन्हें घायलावस्था में अस्पताल ले जाने में साथ रहे, बल्कि अदालत में बेहिचक सच्चाई बयान करने के लिए खड़े भी रहे। टी-सीरीज नामक कंपनी के संस्थापक गुलशन कुमार की 24 साल पहले 12 अगस्त, 1997 को अंधेरी पश्चिम में एक मंदिर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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मामले को व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता का नाम देते हुए टिप्स के सह-संस्थापक रमेश तौरानी को भी इस मामले में आरोपित बनाया गया था। सत्र न्यायालय ने 29 अप्रैल, 2002 को सुनाए अपने फैसले में इस मामले में आरोपित 19 में से 18 लोगों को बरी कर दिया था। उनमें रमेश तौरानी और अब्दुल रऊफ का भाई अब्दुल रशीद भी शामिल थे। यह फैसला आने के बाद अब्दुल रऊफ ने अपनी सजा के खिलाफ, तो राज्य सरकार ने रमेश तौरानी को बरी किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। फैसले के करीब 19 वर्ष बाद हाई कोर्ट ने इन्हीं याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में रमेश तौरानी का हाथ होने का कोई कारण नजर नहीं आता। लेकिन हाई कोर्ट ने अब्दुल रऊफ मर्चेंट के साथ उसके भाई अब्दुल रशीद मर्चेंट को भी आजीवन कारावास की सजा सुना दी।l

कोर्ट ने अब्दुल रऊफ के प्रति कोई रियायत न बरते जाने के निर्देश दिए हैं क्योंकि वह गुलशन कुमार की हत्या के बाद से फरार था। उसे 2001 में गिरफ्तार किया जा सका था। सजा मिलने के बाद जब उसे 2009 में फरलो (कैदियों को मिलने वाली थोड़े दिन की छुट्टी) पर रिहा किया गया था, तब वह निर्धारित अवधि के बाद वापस जेल नहीं पहुंचा था। 2016 में उसे फिर गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। कोर्ट ने उसके भाई अब्दुल रशीद को भी शीघ्र अतिशीघ्र सत्र न्यायालय अथवा मुंबई के डीएन नगर पुलिस थाने में समर्पण करने के निर्देश दिए हैं। यदि अब्दुल रशीद समर्पण नहीं करता है तो सत्र न्यायालय उसके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर सकता है।

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