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आपसी खींचतान के चलते 11 माह से अटका कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों का काम।
आपसी खींचतान के चलते राजस्थान कांग्रेस में ब्लॉक से लेकर प्रदेश तक में पदाधिकारी नहीं हैं। करीब 11 माह पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत के समय पार्टी नेतृत्व ने ब्लॉक से लेकर प्रदेश तक सभी कार्यकारिणी भंग कर दी थी
जयपुर। बड़े नेताओं की आपसी खींचतान के चलते राजस्थान कांग्रेस में ब्लॉक से लेकर प्रदेश तक में पदाधिकारी नहीं हैं। करीब 11 माह पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत के समय पार्टी नेतृत्व ने ब्लॉक से लेकर प्रदेश तक सभी कार्यकारिणी भंग कर दी थी। उस समय प्रदेश अध्यक्ष का पद सचिन पायलट के पास था, लेकिन उन्हें दोनों ही पदों से बर्खास्त कर दिया गया था। पायलट के स्थान पर जल्दबाजी में अशोक गहलोत सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई थी। डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष तो बना दिया गया, लेकिन वे निचले स्तर तक संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्ति अब तक नहीं कर सके। बड़ी मुश्किल से प्रदेश कांग्रेस कमेटी की छोटी कार्यकारिणी बनाई गई, लेकिन काफी कोशिश के बावजूद विस्तार नहीं हो पा रहा है।
प्रदेश प्रभारी अजय माकन कई बार संगठनात्मक नियुक्तियों का काम शीघ्र पूरा होने का दावा कई बार किया। डोटासरा ने संभावित पदाधिकारियों की सूची भी तैयार की, लेकिन सीएम गहलोत और पायलट के बीच एक दर्जन नामों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण पदाधिकारियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। पायलट खेमा सरकार के साथ संगठन में भी बराबर की भागीदारी चाहता है, वहीं गहलोत ऐस करना नहीं चाहते। दोनों नेताओं के बीच सहमति नहीं होने के कारण 39 जिला व 400 ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों की घोषणा अटकी हुई है। डोटासरा का कहना है कि नियुक्तियों को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। इस माह के अंत तक निचले स्तर तक संगठनात्मक नियुक्तियां हो जाएंगी। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर आलाकमान ने जिलों के प्रभारियों से तीन-तीन नाम का पैनल मांगा है। गौरतलब है कि पिछले साल भी कांग्रेस का सियासी संकट काफी समय तक चर्चा में रहा था। राजस्थान कांग्रेस में आपसी रार खत्म होने का नाम नहीं हो रही है। पार्टी के कई नेता एक-दूसरे पर मुखर हो चुके हैं।