हरियाणा शिक्षा विभाग का नया कारनामा: जिसके खिलाफ दी शिकायत, उसी को बना दिया जांच अधिकारी

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 RGA न्यूज़

कर्मचारी संतोष ने सीएम विंडों में दी थी डीईओ के खिलाफ शिकायत, डीईओ को ही बना दिया जांच अधिकारी

संतोष कुमार ने सीएम विंडो की शिकायत में आरोप लगाया था कि भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी ने एक ही समय में दो जगह सरकारी नौकरी का लाभ लेकर सरकार को गुमराह किया और 50 फीसदी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र भी बनवाया था। आरोपित को ही जांच अधिकारी बना दिया

। हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय का नया कारनामा सामने आया है। जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत दी, उसे ही जांच अधिकारी बना डाला, यानी बिल्ली ही दूध की रखवाली करेगी। दरअसल शिक्षा विभाग में तैनात कर्मचारी संतोष कुमार ने भिवानी जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ 23 अप्रैल को सीएम विंडो में शिकायत दी थी। संतोष कुमार ने सीएम विंडो की शिकायत में आरोप लगाया था कि भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी ने एक ही समय में दो जगह सरकारी नौकरी का लाभ लेकर सरकार को गुमराह किया और 50 फीसदी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र भी बनवाया था, जिसके जरिए शिक्षा विभाग में नौकरी में पदोन्नति का अनुचित लाभ भी उठाया था।

शिकायत में यह भी आरोप था कि फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट देकर दूसरी जगह नौकरी की और बिना वेतन अवकाश अवधि को भी अपने अनुभव में दर्शाकर प्राचार्य पद की नौकरी हासिल कर ली। सीएम विंडो में शिकायत करने से पहले ही अलग अलग जगहों से आरटीआई के जरिए तथ्य भी जुटाए गए थे, जिनमें यह पुष्टि हो गई थी कि अजीत सिंह ने एक ही समय में दो संस्थानों में नौकरी की, जिनकी ड्यूटी का समय भी एक ही था और दोनों संस्थानों की दूरी करीब 150 किलोमीटर थी। संतोष कमार की सीएम विंडो की शिकायत पर शिक्षा निदेशालय ने आरोपी जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह को ही जांच अधिकारी बना दिया।

संतोष कुमार ने मांग उठाई है कि एक के बाद एक सरकारी नौकरी का एक ही समय में लाभ उठाने वाले अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच कराकर कार्रवाई करने की बजाए शिक्षा निदेशालय ऐसे अधिकारियों को बचाने में जुटा है। उसने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है। गौरतलब होगा कि स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह की शिकायत पर निजी स्कूल की फर्जी फायर एनओसी मामले में भिवानी जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ पहले से ही जुईकलां पुलिस थाना में धोखाधड़ी व मिलीभगत का केस दर्ज है। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ आरटीआई में जुटाए गए सबूतों को अब न्यायालय में ले जाकर उसके खिलाफ कड़ी विभागीय और कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी।

आरटीआई में ये हुआ खुलासा

आरअीआई में खुलासा हुआ कि गांव कांकड़ोली निवासी अजीत सिंह ने 19 जनवरी 1994 में सिरसा के केंद्रीय विद्यालय में बतौर पीआरटी टीचर की नौकरी ज्वाइन की। इस पद से 6 फरवरी 1996 को पद से इस्तीफा दिया। अजीत सिंह ने 20 अक्तूबर 1995 में राजकीय उच्च विद्यालय छपार रांगडान में बतौर गणित अध्यापक की नौकरी नियुक्ति की। गणित अध्यापक के तौर पर 2 नंबवर 1995 को ज्वाइन कर लिया। इस अवधि में 2 नवंबर 1995 से 6 फरवरी 1996 तक केंद्रीय विद्यालय व रांगड़ान स्कूल में भी तैनात रहा यानी एक ही समय में दो जगह सरकारी नौकरी की। इन दोनों संस्थानों का फायदा करीब 150 किलोमीटर दूरी का है। 30 जुलाई 1996 में गणित अध्यापक के तौर पर छपार रांगड़ान स्कूल में ही रहते हुए 50 फीसदी दिव्यांग होने का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया। अजीत सिंह ने प्राचार्य पद की भर्ती में दो वर्ष डेढ़ माह का शैक्षणिक अनुभव भी दर्शाया हुआ है, जबकि 26 दिसंबर 1997 से 31 जनवरी 1997 तक बिना वेतन अवकाश पर होने के कारण बच्चों को बिना पढ़ाए ही अनुभव कैसे हुआ।

प्राचार्य पद पर रहते हुए लगे थे छेड़छाड़ के आरोप

अजीत सिंह पर बवानीखेड़ा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 4 दिसंबर 2009 को बतौर प्राचार्य होते हुए छात्राओं को भ्रमण पर ले जाकर उनके साथ छेड़छाड़ के आरोप लगे। छात्राओं के अभिभावकों के आरोप पर बवानीखेड़ा पुलिस थाना में अजीत सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 363,354,342,294,509, 120 के तहत केस दर्ज किया गया था।

 

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