RGAन्यूज़
लुधियाना पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर पकड़ने में सफलता प्राप्त की है। सांकेतिक चित्र।
गिरोह के सदस्य विदेश में रहते भारतीय लोगों को नकली अफसर बनकर फोन कॉल करते थे। वे पुलिस केस दर्ज होने की धमकी देकर हवाला के जरिए लाखों रुपयों की अवैध वसूली करते थे। पक्खोवाल रोड स्थित किराये के मकान में इस गोरखधंधे को चलाया ज
लुधियाना। लुधियाना पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर पर दबिश देकर एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सदस्य विदेश में रहते भारतीय लोगों को नकली अफसर बनकर फोन कॉल करते थे। वे पुलिस केस दर्ज होने की धमकी देकर हवाला के जरिए लाखों रुपयों की अवैध वसूली करते थे। पक्खोवाल रोड स्थित किराये के मकान में इस गोरखधंधे को चलाया जा रहा था। यहां से गिरोह के सदस्य विदेश में फर्जी फोन कॉल किया करते थे। पुलिस ने मौके पर दो दर्जन के करीब लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 3 नाइजीरियन नागरिक भी शामिल हैं। वहां से कंप्यूटर सिस्टम, सैकड़ों सिम कार्ड बरामद हुए हैं। फर्जी दस्तावेज और 14 लाख रुपए की नगदी भी बरामद हुई है।
गिराेह के संबंध में कई दिन से चल रही छानबीन के बाद बुधवार शाम डीसीपी डिटेक्टिव सिमरतपाल सिंह ढींढसा, एडीसीपी इन्वेस्टीगेशन रुपिंदर कौर भट्टी, साइबर सेल टीम, सीआईए टीम और भारी पुलिस बल ने पखोवाल रोड स्थित चंदन टावर स्थित गिराेह के ठिकाने पर दबिश दी।
फर्जी कॉल सेंटर चलाने के आरोप में गिरफ्तार लोगों के साथ लुधियाना पुलिस।
सॉफ्टवेयर की मदद से हासिल करते थे विदेशी नागरिकों का डाटा
पुलिस के पास सूचना थी कि आरोपित वीआईसीआई डायल साफ्टवेयर की मदद से यूके, यूएसए और विभिन्न देशों में रहने वाले नागरिकों का डाटा हासिल कर लेते थे। फिर, डिपार्टमेंट आफ वर्क एंड पेंशन के फर्जी अधिकारी बनकर उनके माेबाइल नंबर पर कॉल करते। उनकी फ्रॉड रिपोर्ट बनने का डर दिखाकर उन्हें धमकाया जाता कि उन पर केस दर्ज हो सकता है। इसी की आड़ में वे एनआरआइ लोगों से हवाला के माध्यम से लाखों रुपये की मोटी रकम पंजाब मंगाया करते थे। इस गोरखधंधे को चलाने के लिए गिरोह के सदस्य फर्जी आईडी कार्ड भी इस्तेमाल किया करते थे।
इंस्पेक्टर पवन कुमार ने बताया कि आरोपितों में मुख्य रूप से इस्लामिया रोड निवासी सोमल सूद, जोशी नगर की गली नंबर 9 निवासी अबरोल, इसा नगरी निवासी केन थापर और माधोपुरी की प्रेम गली निवासी जतिन कालरा शामिल हैं। आरोपितों ने हाल ही में एक व्यक्ति को फोन करके उससे 12 लाख रुपये मंगवाए थे। इसके बाद पुलिस को इस गैंग के बारे में भनक लगी थी।