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RGA न्यूज़
बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में बनी मस्जिद गिराने के मामले में दूसरी अवमानना की सुनवाई पर रोक।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बाराबंकी के रामसनेहीघाट तहसील परिसर स्थित मस्जिद ढहाने के मामले में दूसरी अवमानना अर्जी सुनने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने यह आदेश इसलिए सुनाया क्योंकि इस मामले में पहले से ही एक दूसरी अवमानना याचिका विचाराधीन है।
लखनऊ, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बाराबंकी के रामसनेहीघाट तहसील परिसर स्थित मस्जिद ढहाने के मामले में गुरुवार को एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार करते हुए याचिका को रिकार्ड पर रखने का आदेश दिया। यह आदेश पीठ ने इसलिए सुनाया, क्योंकि इस मामले में पहले से ही एक दूसरी अवमानना याचिका विचाराधीन है। यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी की पीठ ने सैयद फारूक अहमद की ओर से दायर अवमानना याचिका पर पारित किया। याचिका पर सुनवाई प्रारंभ होते ही याची ने स्वयं पीठ को अवगत कराया कि इस मामले में एक अन्य अवमानना याचिका पहले से दाखिल है, जिस पर नोटिस जारी हो चुकी है। यह याचना की गई कि वर्तमान अवमानना याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका के साथ सूचीबद्ध कर दिया जाए।
याचिका पर सुनवाई के पश्चात पीठ ने कहा कि ये अवमानना की कार्यवाही है। अवमाननाकर्ता और अदालत के बीच का मामला है। जब समान मामले में पहले ही अवमानना याचिका पर सुनवाई चल रही हैं और नोटिस जारी हो चुकी है तो वर्तमान याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका के साथ सूचीबद्ध करने का कोई औचित्य नहीं है।
हालांकि पीठ ने याची सैयद फारूक अहमद को यह स्वतंत्रता दिया है कि वह पूर्व में दाखिल अवमानना याचिका में यदि चाहे तो अपने संबंधित दस्तावेजों को दाखिल कर सकते है। गौरतलब है कि स्थानीय प्रशासन के आदेश पर रामसनेहीघाट तहसील परिसर में कथित रूप से अवैध तरीके से बनाई गई मस्जिद को बीती 17 मई को गिरा दिया गया था। प्रशासन के इस कार्य से मस्जिद के कर्ता-धर्ता लोगों में काफी नाराजगी है।