कोरोना के डेल्टा-बीटा वैरिएंट का मिश्रित रूप है डेल्टा प्लस वैरिएंट, मोनोकोनल एंटीबाडी काकटेल भी हो रहा फेल

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RGA न्यूज़

वैक्सीन के प्रभाव पर कुछ भी कहना बहुत जल्दीबाजी होगी

म्यूटेंट करके डेल्टा प्लस वैरिएंट बना लिया है। यह नया वैरिएंट अल्फा और बीटा से मिलकर बना है। डेल्टा में बीटा वैरिएंट का म्यूटेशन पाया गया है जो इसे और घातक बनाता है। डेल्टा की तुलना में डेल्टा प्लस 60 फीसद तेजी से संक्रमण फैलाता ह

कानपुर, कोरोना वायरस का नया रूप डेल्टा प्लस वैरिएंट अधिक घातक है। यह भारत में डबल म्यूटेंट डेल्टा वैरिएंट और दक्षिण अफ्रीका के बीटा वैरिएंट से मिलकर बना है। देश में इसके अभी सीमित केस ही रिपोर्ट हुए हैं। इनके इलाज में मोनोकोनल एंटी बाडी काकटेल भी फेल साबित हो रहा है। ये जानकारी गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा ने दी है। वो बताते है, चीन से निकलने के बाद कोरोना वायरस लगातार अपने रूप यानी वैरिएंट में बदलाव कर रहा है। वायरस में 1800 से अधिक म्यूटेशन हुए हैं, लेकिन अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा को लेकर देश-विदेश में डब्लयूएचओ ने अलर्ट जारी किया है। डेल्टा वैरिएंट ने दूसरी लहर में जमकर कहर बरपाया था। हालांकि, वैक्सीन की डोज लेने वालों पर उसका प्रभाव कम है। अब देश में डेल्टा प्लस ने दस्तक दे दी है। इसको लेकर वैक्सीन के प्रभाव पर कुछ भी कहना बहुत जल्दीबाजी होगी।

डेल्टा प्लस 60 फीसद तेजी से संक्रमण फैलाता : असिस्टेंट प्रोफेसर विकास बताते हैं, चीन के वुहान में कोरोना वायरस पाया गया था। उसने चीन से बाहर निकल कर कई रूप बदले। बदले वैरिएंट को लेकर ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में गंभीरता बरतने के निर्देश दिए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वायरस के अलग-अलग नाम रखे हैं, जिसमें ब्रिटेन का वैरिएंट अल्फा (क्च.1.1.7), दक्षिण अफ्रीका का वैरिएंट बीटा (क्च.1.351) और ब्राजील का वैरिएंट गामा (क्क.1) है। तीनों वायरस के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव आया था। विशेषज्ञों के अध्ययन में अल्फा के 18 प्रोटीन, बीटा के आठ प्रोटीन और गामा के 21 प्रोटीन में बदलाव पाया गया। इसलिए देश-विदेश के वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञों के सुझाव पर डब्ल्यूएचओ ने अल्फा, बीटा व गामा को वैरिएंट आफ कंसर्न बताते हुए अलर्ट जारी किया। कोरोना की दूसरी लहर में भारत में अल्फा वायरस डबल म्यूटेंट और (क्क871क्र) करके नए वैरिएंट डेल्टा (क्च.1.617.1, क्च.1.617.2 और क्च.1.617.3) में अपने को बदल लिया। वायरस के बदले रूप डेल्टा (क्च.1.617.2) ने ही दूसरी लहर में देश में सर्वाधिक तबाही मचाई थी। अब डेल्टा वायरस ने फिर से अपने को म्यूटेंट करके डेल्टा प्लस वैरिएंट बना लिया है। यह नया वैरिएंट अल्फा और बीटा से मिलकर बना है। डेल्टा में बीटा वैरिएंट का म्यूटेशन पाया गया है, जो इसे और घातक बनाता है। डेल्टा की तुलना में डेल्टा प्लस 60 फीसद तेजी से संक्रमण फैलाता है।

डेल्टा प्लस इसलिए घातक

  • शरीर के अंदर प्रवेश करके रिसेप्टर के माध्यम से फेफड़ों की कोशिकाओं (सेल) में मजबूती से चिपकता।
  • फेफड़ों की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करके खून की धमनियों व सिराओं में थक्के बनाता।

यह हैं लक्षण : कफ, खांसी, बुखार, डायरिया, पेट से संबंधित समस्याएं, छाती में दर्द, सांस फूलना, त्वचा में लाल चकत्ते पडऩे, अंगुलियों और अंगूठे का रंग बदलना। 

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