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RGA न्यूज़
अब 16 साल बाद फिर भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज है।
जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर विजय सिंह ने जीत के साथ ही इतिहास रच दिया। भाजपा से जीतने वाली वो दूसरी महिला हैं। सबसे पहले भाजपा से डा. उमेश कुमारी ने जीत दर्ज की थी
अलीगढ़, जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर विजय सिंह ने जीत के साथ ही इतिहास रच दिया। भाजपा से जीतने वाली वो दूसरी महिला हैं। सबसे पहले भाजपा से डा. उमेश कुमारी ने जीत दर्ज की थी, अब 16 साल बाद फिर भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज है। इस बार चूंकि महिला सीट थी, इसलिए भाजपा से दूसरी बार भी महिला का कब्जा है। बसपा के साथ ही भाजपा भी जिला पंचायत अध्यक्ष पर दो बार कब्जा करने वाली पार्टी बन गई है।
भाजपाइयों की प्रतिष्ठा थी दाव पर
इस चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई थी। मगर, शनिवार को विजय सिंह ने शानदार जीत दर्ज करके इतिहास रच दिया। भाजपा ने सबसे पहले 1995 में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर जीत दर्ज की थी। यह पहली जिला पंचायत थी, जिसपर डा. उमेश कुमारी काबिज हुईं थीं। फिर लगातार चार कार्यकाल में भाजपा जीत दर्ज नहीं कर सकी। इस बीच भाजपा की सरकार भी रही, मगर जिला पंचायत अध्यक्ष के तिलिस्म को वो तोड़ नहीं पाई। 2021 में चक्रव्यूह रचा गया। भाजपा के खाते में मात्र नौ सीटें आईं, मगर कुशल रणनीति से विजय सिंह को विजय हासिल हो गई। जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर बसपा के लगातार दो बार कब्जे के मिथक को भी भाजपा ने तोड़ने का काम किया है। बसपा से 2010 में सुधीर चौधरी जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे, 2015 में उपेंद्र सिंह नीटू ने जीत हासिल की थी। हालांकि, बाद में वो भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे पहले एक बार राक्रांपा से तेजवीर सिंह गुड्डू और रालोद से रामसखी कठेरिया ने जीत दर्ज की थी। विजय सिंह सबसे
दिग्गजों की लगी थी साख, जीत से ली राहत की सांस
भले ही विजय सिंह की जीत सुनिश्चित हो, मगर भाजपा के दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई थी। भाजपा का पूरा कुनबा इस चुनाव में जुटा हुआ था। प्रदेश नेतृत्व भी पल-पल नजर रखे हुए था। विजय सिंह का पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के परिवार से रिश्ता जुड़ने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। इसलिए विजय सिंह के समधी एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया पूरे चुनाव में दिनरात जुटे हुए थे। उनके पुत्र और सूबे में वित्त राज्यमंत्री संदीप सिंह ने भी वार्ड नंबर 47 में प्रचार किया था। एटा सांसद की पुत्री और प्रवीण राज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह भी प्रचार में दिनरात जुटीं हुई थीं। इसी के साथ भाजपा सांसद सतीश कुमार गौतम, बरौली विधायक ठा. दलवीर सिंह, छर्रा विधायक ठा. रवेंद्र पाल सिंह, खैर अनूप प्रधान, और इगलास विधायक राजकुमार सहयोगी की भी प्रतिष्ठा दांव पर थी। एमएलसी डा. मानवेंद्र प्रताप सिंह, शहर विधायक संजीव राजा और कोल विधायक अनिल पाराशर भी प्रचार में जुटे हुए थे। यदि इतने बड़े कुनबे के बाद भी भाजपा विजय सिंह को नहीं जीता पाती तो भाजपा नेताओं के लिए इससे शर्मनाक और कोई बात नहीं होती।