20 हजार सीटों के लिए 50 हजार से अधिक आवेदन, प्रदेश में पांच लाख से ज्यादा छात्रों ने किया अप्लाई

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RGA न्यूज़

उप्र स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना के कारण बीएड की सीटें भरने का संकट कालेज प्रबंधन के सामने गहराने लगा था। कई कालेजों में दस फीसद प्रवेश भी नहीं हो पाए थे।

कानपुर, एक बार फिर बीएड का आकर्षण छात्रों के बीच बढ़ता दिख रहा है। इस वर्ष प्रदेश से पांच लाख 91 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। इनमें सीएसजेएमयू से संबद्ध बीएड कालेजों की 20 हजार सीटों में दाखिले के लिए 50 हजार नौ सौ अभ्यर्थियों ने प्रवेश परीक्षा फार्म भरा। पिछले वर्ष सीएसजेएमयू को मिलाकर बीएड प्रवेश परीक्षा में चार लाख 21 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे।

बीएड में आवेदन बढ़ने का कारण यह है कि बीएड व एमएड करने के बाद महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के दरवाजे खोल दिए गए हैं। इसके अलावा इंटरमीडिएट कालेज में भी उन्हें नौकरी मिल जाती है। डीएलएड में केवल प्राथमिक शिक्षक बनने की राह ही खुलती है। इसके अलावा डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन डीएलएड व बीटीसी का पिछले वर्ष का सत्र शून्य होने व इस वर्ष अभी तक फार्म जारी न होने के कारण अभ्यर्थियों ने बीएड को प्राथमिकता दी है। प्रवेश परीक्षा की संभावित तारीख 31 जुलाई घोषित की गई है। इस वर्ष बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय आयोजित कराने जा रही है। उप्र स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना के कारण बीएड की सीटें भरने का संकट कालेज प्रबंधन के सामने गहराने लगा था। कई कालेजों में दस फीसद प्रवेश भी नहीं हो पाए थे। इस बार अभ्यर्थियों के पंजीकरण की संख्या बढऩे से सभी सीटें भर जाएंगी। बीएड कालेजों से जुड़े शिक्षकों को भी इससे लाभ होगा। सीटें खाली रह जाने के कारण पिछले वर्ष उनका वेतन निकालना तक मुश्किल होने लगा था। एक निजी बीएड कालेज के प्रबंधक डा. बृजेश भदौरिया ने बताया कि कोरोना के कारण कालेजों की खराब स्थिति में अब सुधार की संभावना है। प्रवेश समय से होने का लाभ अगले सत्र पर भी पड़ेगा।

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