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RGA न्यूज़
भीतरघातियों ने ही पार्टी में सेंध लगा दी।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सपा ने कुर्सी छिन जाने पर रिपोर्ट तलब की है। मजबूती के साथ दावेदारी कर रही पार्टी की हार में भितरघातियों ने सेंध लगाने का काम करते हुए सदस्यों की सौदेबाजी भी कर डाली है।
कन्नौज, लोकसभा सीट जाने के बाद अब सपा से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भी छिन गई। ये सब सपा के विभीषणों के कारण हुआ। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ हो। इससे पहले भी भितरघातियों ने पार्टी को दगा दिया था। पार्टी को अर्श से फर्श पर लाने का काम लगातार यही भितरघाती कर रहे हैं।
सपा ने मांगी सात तक रिपोर्ट
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा की हार के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष ने सभी जिलाध्यक्षों व जिला महासचिवों से सात जुलाई तक कारण व तथ्यों के साथ रिपोर्ट तलब की है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने पत्र जारी कर उन जिलों के जिलाध्यक्षों और जिला महासचिव से रिपोर्ट मांगी है, जहां सपा या गठबंधन के प्रत्याशी की हार हुई है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर अब हार के कारणों की समीक्षा की जा रही है।
सदस्यों की सौदेबाजी ने बिगाड़ा गणित
जिला पंचायत सदस्यों की संख्या की बात करें तो सपा सबसे आगे थी। उनके दस सदस्य जीते थे, जबकि भाजपा के सात सदस्यों ने जीत हासिल की थी। नौ निर्दलीयों में भी सपा से बगावत कर मैदान में उतरने वालों की संख्या अधिक थी। सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण सपा खेमे को पूरा विश्वास था कि वह जीत जाएंगे। मगर उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि पार्टी के कुछ नेता ही उनके विश्वास के साथ-साथ पार्टी को तोड़ देंगे। इन नेताओं ने सपा को मजबूत करने के बजाए विपक्ष को मजबूत किया।
सदस्यों की कमजोरी बता कर उनकी सौदेबाजी की। सूत्र बताते हैं कि इसमें एक नहीं बल्कि चार नेताओं ने भूमिका निभाई है। बताया जा रहा है कि सदस्यों की सौदेबाजी 25 लाख से अधिक रुपये में हुई है। साथ ही एक कार भी तय हुई है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि अगर सही समय पर इन भितरघातियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले समय में ये नासूर बन सकते हैं।