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भाजपा की सेना में शिवसेना का जवाब हैं नारायण राणे।
नारायण राणे को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाकर भाजपा ने अपने खेमे में एक तेजतर्रार मराठा नेता को तो जोड़ा ही है शिवसेना के गढ़ समझे जाने वाले कोकण में उसका जवाब भी ढूंढ लिया है। नारायण राणे मूलतः शिवसैनिक ही रहे हैं
मुंबई। मोदी मंत्रिमंडल में बुधवार को शामिल किए गए नए मंत्रियों में सबसे पहले पुकारा जाने वाला नाम महाराष्ट्र के नारायण राणे का था। राणे को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाकर भाजपा ने अपने खेमे में एक तेजतर्रार मराठा नेता को तो जोड़ा ही है, शिवसेना के गढ़ समझे जाने वाले कोकण में उसका जवाब भी ढूंढ लिया है। नारायण राणे मूलतः शिवसैनिक ही रहे हैं। शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे के भरोसेमंद रहे नारायण राणे को शिवसेना-भाजपा गठबंधन की पहली सरकार में मनोहर जोशी के बाद सिर्फ छह माह के लिए मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था। लेकिन अपने उसी छोटे से कार्यकाल में राणे ने अपनी प्रशासनिक क्षमता की गहरी छाप छोड़ी थी। लेकिन दुर्भाग्य से राणे को दुबारा मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला। शिवसेना में उनकी उद्धव ठाकरे से पटरी भी नहीं खाई, और उन्हें शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में जाना पड़ा। तब की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रभाराव उन्हें कांग्रेस में इस आश्वासन के साथ लाई थीं कि उन्हें जल्दी ही मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस में ऐसा कभी
तब राणे ने कांग्रेस छोड़कर महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नाम से अपना राजनीतिक दल बनाया। लेकिन इस दल के जरिए कुछ खास उपलब्धि हासिल न कर सके राणे ने भाजपा से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं। दरअसल, राणे के सामने खुद अपने सिवा, अपने दो बेटों नीलेश व नितेश के भी राजनीतिक कैरियर का सवाल खड़ा था। शिवसेना से निरंतर बढ़ती खटास के बीच भाजपा को भी खासतौर से कोकण में एक तेजतर्रार चेहरे की तलाश थी। ये तलाश राणे परिवार पर ही जाकर समाप्त होती थी। क्योंकि ठाकरे परिवार को शिवसेना शैली में जवाब देने का काम अक्सर राणे व उनके दोनों पुत्र करते रहते हैं। देवेंद्र फडणवीस सरकार के दौरान भाजपा राणे को प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहती थी। किंतु शिवसेना के साथ सरकार चला रही भाजपा उसके विरोध के कारण ऐसा नहीं कर सकी।
लेकिन भाजपा ने उसी दौरान नारायण राणे को अपने कोटे से राज्यसभा में भेजकर संकेत दे दिए थे कि वह राणे को अपने खेमे में लेने जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने खुलकर राणे के कनिष्ठ पुत्र नितेश राणे का साथ दिया। नितेश अक्सर ठाकरे परिवार पर खुलकर प्रहार करते रहते हैं। चूंकि राणे मराठा हैं, इसलिए वह और उनके दोनों पुत्र महाराष्ट्र की राजनीति में अच्छा दबदबा रखने वाले मराठा समाज में भाजपा की आवाज बन सकते हैं। लेकिन इन सबसे अलग कोकण व मुंबई में यह परिवार शिवसेना का सिरदर्द बढ़ा सकता है। क्योंकि कोकण व मुंबई ही शिवसेना की असली ताकत का केंद्र माने जाते हैं। यदि ऐसा हो सका तो मुंबई महानगरपालिका का अगला चुनाव शिवसेना के लिए मुश्किल हो सकता है।